तुम्हें शुभकामना मेरी

जन्म के साथ ही मौत की तिथि भी नियत हो जाती है।फिर जीवन चल पड़ता है; तमाम उतार चढ़ाव के साथ, अमीरी ग़रीबी के साथ, ख़ुशी व निराशा के पलों के साथ, प्रेम व तिरस्कार के लमहों के साथ, विविध रंगों के साथ यह जीवन चलता है!
फिर, आख़िरी वक़्त भी आता है, और यह एक अटल व अकाट्य सत्य की तरह आता है। उस वक़्त कौन याद रखता है कि कितने करोड़ जोड़े, कितने फ़्लैट ख़रीदे, कितने प्लॉट लिए, कितनी ज्यूलरी ख़रीदी। उस समय अगर कुछ उपलब्धि के पल दिमाग़ में तैरते हैं तो यही कि प्यार के कितने पल मिले! कितना हँसा! कितना हँसाया! कितना गाया! कितनी मदद की लोगों की! कितनी सेवा की ज़रूरतमंदों की! दुनिया के कितने रंग बिरंगी आयाम देखे! कितनी दोस्ती निभाई! ईश्वर के कितने क़रीब रहे! जीवन को कितना समझा !
और इसलिए, आओ ज़रा अपनों के साथ बैठते हैं, पुराने दोस्तों को फोन करते हैं, कुछ गाते हैं, फुलवारी में घूम के आते हैं, चिड़ियों की चहकन सुन कर आते हैं, माँ को गले लगाते हैं, प्रियतम को बाँहों में भर माथा चूम लेते हैं
आओ! अभी यह सब करते हैं !
अजय कुमार आईपीएस
एसपी मैनपुरी




