हाईकोर्ट ने बड़े हनुमानजी मंदिर के पास से अतिक्रमण हटाने के दिए आदेश...

प्रयागराज. माघ मेले के समापन के बाद संगमनगरी स्थित बड़े हनुमानजी के मंदिर के पास हुए अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही की जा सकती है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने संगम स्थित प्रसिद्ध बड़े हनुमानजी मंदिर का प्रबंधन करने वाले बाघम्बरी मठ और मंदिर के महंत नरेन्द्र गिरी को 19 मार्च 2020 तक मंदिर के 4335 वर्ग फीट क्षेत्रफल के अलावा किये गये अवैध निर्माण को हटा लेने का निर्देश दिया है.
उच्च न्यायालय ने आदेश में कहा है कि याची द्वारा यदि निर्धारित समय में निर्माण नहीं हटाया जाता है तो सेना व प्रयागराज विकास प्राधिकरण (Prayagraj Development Authority) को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने का अधिकार होगा. कोर्ट ने प्रयागराज में चल रहे माघ मेले को देखते हुए मंदिर के महंत को तीन माह के लिए राहत दी है और स्वयं अवैध कब्जा हटा लेने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने नरेंद्र गिरी महंत बड़े हनुमान मंदिर की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता सीबी यादव व रक्षा संपदा अधिकारी भारत सरकार की तरफ से अधिवक्ता एस के राय व अन्य द्वारा बहस की गई. दरअसल कैंटोन्मेंट बोर्ड (Cantonment Board) ने महन्त नरेन्द्र गिरी को मन्दिर के क्षेत्रफल से अधिक क्षेत्र पर बने निर्माण को हटाने के लिए नोटिस जारी की थी, जिसको महन्त ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. नोटिस के मुताबिक विवादित जमीन सेना की है.
तीन महीने में हटानी होगी दुकानें
अतिक्रमण के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय के आदेश पर प्रयागराज विकास ने मंदिर एरिया का सर्वे किया था, जिसमें मंदिर के लिए आवन्टित एरिया से अधिक भूमि पर अतिक्रमण पाया गया. याची ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में कहा है कि उसने केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है और उस पर फैसला आने तक कार्रवाई रोकी जाय. कोर्ट के आदेश पर अधिवक्ता कमिश्नर ने मौके का निरीक्षण कर नक्शा सहित रिपोर्ट दी थी. कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि जितना एरिया मंदिर के नाम दर्ज है उतने क्षेत्रफल पर ही महंत का अधिकार है. इसके अलावा शेष क्षेत्रफल से निर्माण तीन माह के अन्दर हटाया जाये, क्योंकि केन्द्र सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई अनुमति नहीं दी है. मंदिर एरिया से हटकर बनी कुछ दुकानों को भी अतिक्रमण की श्रेणी में रखते हुए न्यायालय ने हटाने के निर्देश दिये हैं.




