वकील हत्याकांड में 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का ऐलान

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वकील शिशिर त्रिपाठी की हत्या मामले में जमकर विरोध शुरू हो गया है. शिशिर की 5 लोगों ने मंगलवार रात ईंट-पत्थरों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. मामले में पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार किया, वहीं बाकी आरोपी फरार हैं. उधर बुधवार को अधिवक्ता हत्याकांड के बाद लखनऊ में वकीलों का जमकर विरोध सामने आया. मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगे. जिसके बाद इंस्पेक्टर कृष्णा नगर प्रदीप सिंह को लापरवाही का दोषी मानते हुए एसएसपी लखनऊ ने निलंबित कर दिया है. वहीं लखनऊ डीएम ने विवेकाधीन कोष से शिशिर के परिजनों को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी है. इसके साथ ही हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए टीमें बनाई गई हैं और 24 घंटे में हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें इससे पहले आक्रोशित वकीलों ने शिशिर का शव डीएम ऑफिस में रखा और मुआवज़े और इंसाफ की मांग को लेकर नारेबाजी की. इस दौरान प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के प्रमुख शिवपाल यादव भी कलेक्ट्रेट पहुंचे. शिशिर के साथी वकीलों ने आरोप लगाया है कि गांजा कारोबारियों के विरोध पर शिशिर की हत्या की गई है. उन्होंने हत्यारोपियों को पुलिस संरक्षण का भी आरोप लगाया. सुबह पोस्टमार्टम हाउस के बाहर वकीलों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, इसके बाद पोस्टमार्टम हाउस के बाहर भारी संख्या में पुलिस, पीएसी और आरएफ तैनात की गई.
वकीलों की शिशिर के परिवार को 50 लाख मुआवजा, कृष्णा नगर पुलिस को आरोपी बनाए जाने की मांग रही. वहीं शिशिर के परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस को कई बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. कल रात 8 बजे भी इंस्पेक्टर कृष्णा नगर को शिशिर के दोस्तों ने फोन किया था. पुलिस की लापरवाही और गांजा कारोबारियों से मिलीभगत से शिशिर की हत्या हुई. बता दें 32 साल के अधिवक्ता शिशिर त्रिपाठी देर रात 5 आरोपियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. एक आरोपी अधिवक्ता विनायक ठाकुर गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं 4 आरोपी फरार हैं. देर रात कृष्णानगर थाना क्षेत्र के दामोदरनगर इलाके में ये हत्याकांड हुआ.




