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उत्तर प्रदेश

युवाओं को नचिकेता की तरह धैर्यवान, अर्जून की तरह चरित्रवान एवं स्वामी विवेकानन्द तरह शान्ति एवं ईश्वर की चाह रखनी चाहिए

युवाओं को नचिकेता की तरह धैर्यवान, अर्जून की तरह चरित्रवान एवं स्वामी विवेकानन्द तरह शान्ति एवं ईश्वर की चाह रखनी चाहिए
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आज कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रान्तीय युग सृजेता एवं विशाल युवा समागम का आयोजन सुबह 8ः00 बजे से शुरू हुआ। आज जहाँ दोपहर 11ः00 बजे अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डा0 प्रणव पाण्ड्या को भावभीनी विदाई दी गयी तो दुसरी ओर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डा0 चिन्मय पाण्ड्या का गर्मजोशी से स्वागत् किया गया। अपने उदवोधन सत्र् सुबह 9ः00 बजे से श्रद्धेय डा0 प्रणव पाण्ड्या जी ने विशा ल युवा सम्मेलन को ''युवा क्रान्ति पथ '' पर बोलते हुये कहा कि युवा चिन्तन मन से सभी को जीवन के अन्तिम क्षण तक युवा बने रहना चाहिए। श्रद्धेय पाण्ड्या ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा आप नचिकेता की तरह धैर्यवान, अर्जून की तरह चरित्रवान एवं विवेकवान स्वामी विवेकानन्द तरह शान्ति एवं ईश्वर की चाह रखनी चाहिए। शिवाजी पर चर्चा करते हुए कहा कि महाराज शिवाजी की तरह स्त्रियों का सम्मान का भाव ह्दय में होना चाहिए। आप सभी संयम को जीवन में उतारे एवं भाग्य निर्माता, उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठ बने तथा आँखों में स्वर्णीम युग का स्वप्न जगाये रखे। लोगों से कहा कि युवाओं को तरासे एवं उन्हे सृजन में लगावे ताकि हमारे युवा स्वावलम्वी, चरित्रवान व्यसन मुक्त एवं राष्ट्र से अगाध प्रेम करने वाले हो अन्त में युवाओं से कहा कि तुम शांति माँगोगे तो सुख आयेगा पर अगर सुख माँगोगे तो अशान्ति आयेगी। महिला उत्पीड़न पर श्रद्धेय पाण्ड्या ने सरकार से तुरन्त न्याय कर दण्ड देने का अनुरोध किया।

अग्रेतर सत्र युग निर्माण हेतु गढ़े समग्र पीढ़ी पर सम्बोधित करते हुए डा0 संगीता सारस्वत ने कहा कि इतिहास गवाह है कि गर्भ में ही शिशुओं ने शिक्षा एवं गुणों को प्राप्त किया है, जिसका जीता जागता उदाहरण अभिमन्यु है। डा0 संगीता ने कहा कि स्वस्थ, बुद्धिमान एवं श्रेष्ठ शिशु को जन्म देने में माता-पिता की ही जिम्मेदारी नहीं है बल्कि पुरे परिवार की जिम्मेदारी है। जब शिशु गर्भस्थ हो जो परिवार का वातावरण शालीन, तनाव मुक्त, संस्कारित एवं आध्यात्मिक होना चाहिए। गर्भणी के उचित आकांक्षाओं को पुरा करें, ताकि भावी शिशु योग्य, शालीन, बुद्धिमान एवं स्वस्थ जन्म ले।

'' व्यसन से बचाओं सृजन में लगाओं'' विषय पर सम्बोधित करते हुए उ0प्र0 युवा प्रकोष्ठ प्रभारी श्री प्रभाकर सक्सेना (पवित्र जी) ने कहा कि आज हमारी सबसे प्राथमिक जिम्मेदारी अपने युवा भाईयों को नशा से बचाना है अगर हम इस दिशा में कार्य नहीं किये तो निष्चय रूप से वह दिन दूर नहीं जब हर घर में कैंसर रोगी होगें। मेरा सभी माता-पिता से अनुरोध है कि अपने बच्चों को नशा से होने वाले कुप्रभावो से अवगत करावें एवं उन्हें व्यसन से दूर रखते हुए चरित्र निर्माण पर ध्यान दे ताकि समाज में घट रही विभत्स घटनाओं से दूर रहते हुए सृजन में कार्य करते रहे।

सांय 4ः00 बजे कार्यक्रम स्थल पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रति कुलपति श्रद्धेय डा0 चिन्मय पाण्ड्या का कार्यक्रम पर आगमन हुआ, जिनका भव्य स्वागत किया गया। '' कौन हो युवाओं का आदर्श '' विषय बोलते हुए डा0 चिन्मय पाण्ड्या जी ने राम चरित मानस की कथा को सुनाते हुए कहा कि पहले एक रावण था जिससे राम को संघर्ष करना पड़ा। आज हर व्यक्ति में रावण रूपी विचार पनप रहे है, जिस कारण समाज में विभत्स घटनाऐं घट रही है।

आज चरित्र निर्माण की अति आवष्यकता है। मानवता के पतन की ओर जाने से रोकने के लिए युग सृजेता उ0प्र0 कार्यक्रम का सार्थकता अति आवश्यक था। राम-रावण की तरह ही देवासुर संग्राम की स्थिति मनुष्य के मन में सदा ही रही, इसी कारण इस बार भगवान को प्रज्ञावतार के रूप में आना हुआ। गायत्री परिवार को भगवान के नेतृत्व में काम करने का अवसर मिला है। बच्चों को संस्कार दो न कि मोबाईल आज अगर अपने बच्चों को संस्कारिक बनाना है तो साधना, आराधना, उपासना एवं अंशदान में लगाना होगा तभी हमारे बच्चे युग सृजन का कार्य करने में समर्थ होगें।

रिपोर्टर:-महेश पाण्डेय वाराणसी

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