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मध्यप्रदेश: कहीं नसबंदी के बाद महिलाओं को जमीन पर सुलाया तो कहीं टॉर्च से हुआ ऑपरेशन

मध्यप्रदेश: कहीं नसबंदी के बाद महिलाओं को जमीन पर सुलाया तो कहीं टॉर्च से हुआ ऑपरेशन
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मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक मामला सामने आया है। यहां के जिला अस्पताल में जिन महिलाओं की नसबंदी का ऑपरेशन किया गया उन्हें जमीन पर ही लेटा दिया गया। इन महिलाओं के लेटने के लिए बेड की व्यवस्था तक नहीं की गई। नियमानुसार नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं को ठंड और संक्रमण से बचाने के लिए बेड़ पर लेटाना जरूरी होता है।

महिलाओं को ऑपरेशन के बाद लेटने के लिए बेड तक नहीं दिया गया और ठंड के इस मौसम में जमीन पर ही लेटा दिया गया। यही नहीं, इलाज के बाद उन्हें ऑपरेशन कक्ष से वार्ड में ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मुहैया कराया गया, जिसकी वजह से उनके परिजन उन्हें हाथों में उठाकर वहां से बाहर लाए और वार्ड में लेटाया। इस तरह जमीन पर लेटाने से महिलाओं में संक्रमण होने का खतरा बढ़ गया।


मरीज के एक रिश्तेदार ने बताया कि यहां अस्पताल में कोई सुविधाएं नहीं हैं, बेड की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को फर्श पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यहां तक कि स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं है और इसलिए दो या तीन लोगों ने ऑपरेशन पूरा होने के बाद मरीजों को अपनी बाहों में लेकर वार्ड में लेटाया।

जब इस मामले में सिविल सर्जन आर त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने अस्पताल का बचाव करते हुए कहा कि जिन महिलाओं की नसबंदी हुई उन्हें लंबे समय तक यहां भर्ती नहीं करना था जिस वजह से उन्हें फर्श पर लगाए गए बिस्तर पर लेटने को कहा गया।

त्रिपाठी ने कहा कि महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है। उनके लिए एक अलग ऑपरेशन थिएटर बनाया गया है और उनके लिए अलग बेड रखा गया है। उनके साथ कोई अमानवीय व्यवहार नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रति दिन नसबंदी के लगभग 30 मामले यहां आते हैं। बिस्तर की सुविधा प्रदान करने के लिए, हमें बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है। इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद आला अधिकारियों ने कार्रवाई की बात कही है।

टॉर्च की रोशनी में किया ऑपरेशन

वहीं सतना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिरसिंहपुर में शनिवार को मोबाइल के टॉर्च की रोशनी से महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन कराने का मामला सामने आया है। इसपर सीएमएचओ डॉक्टर एके अवधिया ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान सतत बिजली आपूर्ति के लिए कैंप में जनरेटर की व्यवस्था के निर्देश दिए गए थे।

उन्होंने माना कि जनरेटर न होने के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार नसबंदी ऑपरेशन के दौरान लेप्रोस्कोप की मदद से एक रिंग लगाई जाती है। रिंग लग जाने के बाद लेप्रोस्कोप निकाल कर टांके लगाए लगा दिए जाते हैं। इस तरह का बारीक काम टॉर्च की रोशनी में करना महिलाओं के लिए जोखिमपूर्ण हो सकता है।

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