विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी जाए, मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बने- CJI

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है. शीर्ष अदालत ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी है. साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने को कहा है. वहीं, अदालत में निर्मोही अखाड़ा के सभी दावे खारिज हो गए हैं.
हिंदू पक्ष ने पेश किए ऐतिहासिक साक्ष्य
बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद पर लगातार 40 दिन तक सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला पढ़ते हुए सीजेआई गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष ने जिरह के दौरान ऐतिहासिक साक्ष्य पेश किए. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि आस्था के आधार पर जमीन के मालिकाना हक पर फैसला नहीं किया जाएगा.
सीजेआई रंजन गोगोई शनिवार सुबह जब सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ने आए तो उन्होंने सबसे पहले शांति की अपील की. इसके बाद पांचों जजों की बेंच ने फैसले पर दस्तखत किए. सीजीआई ने कहा कि 1991 के कानून में उपासना स्थल पर पूजा का जिक्र है. इस मामले में किसी ने प्रॉपर्टी राइट क्लेम नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर कब बनी और किसने बनवाई, यह स्पष्ट नहीं है. साथ ही कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के सूट को भी खारिज कर दिया गया.
'कोर्ट के लिए धर्मशास्त्र में जाना उचित नहीं'
फैसला पढ़ने के दौरान सीजेआई गोगोई ने कहा कि कोर्ट के लिए धर्मशास्त्र में जाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि अदालत धार्मिक आस्थाओं पर नहीं बल्कि कानून के हिसाब से फैसला लेती है. सीजेआई ने यह भी कहा कि कानून की नजर में सबकी आस्थाएं एक समान है. उन्होंने यह भी कहा कि समानता संविधान का मूल है.
फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने रामलला विराजमान को कानूनी मान्यता दी. उन्होंने एएसआई के रिपोर्ट का भी जिक्र किया. सीजेआई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मस्जिद खाली जगह पर नहीं बनाई गई थी. खुदाई में वहां पर गैर इस्लामिक ढ़ाचा मिला था.
'1856 से पहले मुस्लिमों का गुंबद पर दावा साबित नहीं होता'
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित भूमि पर हर शुक्रवार को मुस्लिम नमाज अदा करते थे और इस जमीन के बाहरी हिस्से पर हिंदू पूजा करते थे. CJI रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अयोध्या के विवादित स्थल के बाहरी क्षेत्र पर हिंदुओं का दावा साबित होता है. 1856 से पहले मुस्लिमों का गुंबद पर दावा साबित नहीं होता.
सीजेआई ने कहा कि 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे. मुस्लिमों ने मस्जिद को कभी नहीं छोड़ा. विवादित स्थल पर मस्जिद बनने के बाद से नमाज का दावा साबित नहीं होता. इस केस में हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए. बाहरी चबूतरा, राम चबूतरा और सीता की रसोई में भी पूजा होती थी.