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उत्तर प्रदेश

इंडियन होम्योपैथिक ऑर्गेनाइजेशन की बैठक संपन्न

इंडियन होम्योपैथिक ऑर्गेनाइजेशन की बैठक संपन्न
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वाराणसी

आज वाराणसी के होटल प्रताप पैलेस कैंट में इंडियन होम्योपैथिक ऑर्गनाइजेशन शाखा वाराणसी की एक आवश्यक बैठक बुलाई गई

बैठक में कई बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया जिसके तहत बैठक में कई बिंदुओं पर विचार विमर्श किया गया जिसमे संगठन ने गत सितंबर महीने से शहर वाराणसी के विद्यालयों में वेटर जनित बीमारियों एवं मलेरिया, चिकनगुनिया इत्यादि से बचाव हेतु जन जागरूकता अभियान एवं स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर चर्चाएं हुई।

संगठन द्वारा आयोजित नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों में प्रमुख रूप से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से बचाव की दवाएं वितरित करने के विषय पर चर्चा हुई। गत सितंबर एवं अक्टूबर (वर्तमान) के महीने में अब तक आयोजित हुए शिविरों के बारे में सचित्र विवरण किया दिया गया जिनमें प्रमुख रुप से आदर्श विद्या मंदिर में भदैनी, वाराणसी में लगभग 400 विद्यार्थियों के स्वास्थ्य परीक्षण एवं विपिन बिहारी चक्रवर्ती कन्या विद्यालय रामापूरा वाराणसी के प्राथमिक वर्ग के लगभग 200 विद्यार्थियों एवं माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक वर्ग के लगभग 500 विद्यार्थियों के लिए आयोजित हुए नि:शुल्क स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं शिविर की जानकारी दी गई एवं आगे लगाए जाने वाले शिविरों के विषय पर भी चर्चा की गई।

बैठक में एक महत्वपूर्ण विषय जलवायु परिवर्तन पर विशेष चर्चा हुई ,आज पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हैं। अतः जलवायु परिवर्तन से मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्परिणाम को रोकने में होम्योपैथीक की भूमिका के विषय पर चर्चा हुई।

संगठन के वाराणसी शाखा की सचिव डॉ अर्पिता चटर्जी ने कहा आज केवल मानव नहीं समस्त जंतु प्रजाति जलवायु परिवर्तन के उत्पन्न हुए प्रभावों की चपेट में है पृथ्वी पर वनस्पति एवं जंतुओं का समन्यवय बिगड़ता जा रहा है जो एक गंभीर चिंता का विषय है आधुनिकीकरण एवं तकनीकीकरण के अंधे दौर में समूचा विश्व खतरे के मुहाने पर है ऐसे में स्वास्थ्य की दृष्टि से सजगता का विशेष प्रयोजन है अतः सभी जन सामान्य से यह अपील है कि ऐसी परिस्थितियों से बचने हेतु प्रकृति से जुड़े एव होम्योपैथिक से जुड़े होम्योपैथिक ही एक मात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो कि प्रकृति के नियमानुसार क्रियान्यवित होती हैं

इसी कड़ी में प्रदेश के अध्यक्ष डॉ आर0सी0 श्रीवास्तव ने भी प्राचीन भारत के समृद्ध इतिहास एवं सामाजिक प्रारंभिक रीतियों की चर्चा करते हुए जैसे शादी विवाह के अवसर में होने वाले हल्दी के रस में क्या पारंपरिक रस्म का वैज्ञानिक महत्व है उन्होंने कहा कि मृत्यु के पश्चात मृत शरीर को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखे जाने का वैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है क्योंकि विद्युत चुंबकीय क्षेत्र की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए इनका वैज्ञानिक आधार निहित हैं,जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न रोगों जैसे कुपोषण विषाणुजनित बीमारियों हार्मोन संबंधित गड़बड़ी से आज इतनी बड़ी संख्या में लोगों का प्रभावित होना भी जलवायु परिवर्तन का प्रभाव है बैठक में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 जे0एन0सिंह रघुवशी जी ने भी इसी संदर्भ में अपने विचार रखे, बैठक की अध्यक्षता डॉ दिनेश त्रिपाठी ने की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ सर्वेश चौबे,डा0 शैलेंद्र पांडेय, उपाध्यक्ष डा0वी0 शंकर डॉक्टर अवधेश चौबे, डॉक्टर ए0 के0 श्रीवास्तव, डॉ निधि रावत, डॉ परवेज आलम, डॉक्टर शकील अहमद, डॉ पुष्पा वर्मा उपस्थित रहे।

रिपोर्टर:-आंनद कुमार दुबे वाराणसी

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