जीवन जीने का मर्म सिखाती है रामायण- धराचार्य महाराज।

मेजारोड(प्रयागराज)।सिद्ध हनुमान मंदिर पांती में चल रहे नौ दिवसीय मानस सम्मेलन में वाराणसी पीठ के संत डॉक्टर रामसूरत रामायणी जीने जीवन को रेलगाड़ी की तरह बताया जिसमें श्री राम नाम रूटीन से पार पाया जा सकता है उन्होंने बताया कि श्री राम भक्ति के लिए अनुराग की अधिक आवश्यकता है।मर्यादा पुरुषोत्तम की लौकिक लीला का वर्णन किया।संगीतमय राम कथा से कथा की रोचकता बनी रही।झांसी पीठ से पधारे हुए डॉ अरुण कुमार गोस्वामी ने कथा के जरिये बताया कि दोबारा मानव जन्म मिलेगा कि नहीं इसलिए भजन में मन लगाना चाहिए।जिससे भवसागर से पार पाया जा सकता है और कथा श्रवण करने से भगवत कृपा प्राप्त होती है।प्रसंग में कथा वाचक ने सीता के प्रति श्री राम के मंत्र मुग्ध होने की स्थिति का कथा के रूप में जो चित्रण किया वह दिल को छूने वाला रहा।
बांदा के डॉक्टर रामगोपाल तिवारी ने राम कथा को ही ईस्वर प्राप्ति का परम मार्ग बताया।कहा राम नाम के जाप के बिना जीवित व्यक्ति मुर्दे के समान है इसलिए राम नाम भक्ति का सहारा लेना चाहिए।राम नाम मे कितने गुण है इसकी कोई सीमा नही है। प्रयाग पीठ से पधारे हुए श्री धराचार्य जी ने कहा कि राम का नाम ही मनुष्य लेकर भवसागर से पार उतर सकता है और इस दुनिया में दूसरा कोई रास्ता भवसागर से पार करने का नहीं है।इंजीनियर नित्यानंद उपाध्याय कथा श्रवण करने पहुंच रहे श्रोताओं की आवभगत में लगे रहे। कथा में मौजूद समिति के सचिव विजया नंद उपाध्याय, शम्मी, मोनू, रजनीश,आशु सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।
रिपोर्ट:-आशीष शुक्ला
मेजारोड,प्रयागराज।