असलहे का लाइसेंस इस तरह बनता है, सरकार ने की है सीसीटीएनएस से डिजिटल जांच की तैयारी

बलिया, । हथियारों के लाइसेंस व विभिन्न मामलों में थाने पहुंचे आवेदकों के चरित्र सत्यापन में सीसीटीएनएस की जांच उनके द्वारा दिये गए शपथ पत्रों की बखिया उधेड़ रही है। आलम यह है कि विगत एक माह में सीसीटीएनएस की जांच ने दर्जनों शपथ पत्रों की सत्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे पुलिस भी हैरान है। पूर्व में हथियारों के लाइसेंस व अन्य चरित्र सत्यापन में थाना पुलिस अपने अभिलेखों की जांच करते हुए उक्त आवेदक के आवेदन की संस्तुति कर देती थी। इसके बाद आवेदन अग्रसारित होकर आगे बढ़ जाता था।
इस संबंध में आवेदक को शपथ पत्र देकर अपने आवेदन से संबंधित चरित्र का सत्यापन करना होता है कि उसके विरुद्ध कोई मुकदमा या अन्य विधिक कार्रवाई कभी नही हुई है। इन शपथ पत्रों के आधार पर पुलिस की जांच आगे बढ़ती थी। वर्तमान समय में थानों के डिजिटाइजेशन के बाद अब किसी भी हथियार के आवेदन करने वाले आवेदक की जांच थाने के अभिलेखों से करने के बाद सीसीटीएनएस के ऑनलाइन पोर्टल पर की जा रही है। इसमें उक्त आवेदक से जुड़े किसी भी अन्य थाने में दर्ज मुकदमे निकल कर सामने आ जा रहे हैं। जिसके बाद पुलिस उक्त आवेदन को तत्काल निरस्त करने की संस्तुति कर दे रही है।
इस संबंध में दो सप्ताह पूर्व थाना क्षेत्र के परिखरा निवासी एक युवक ने शपथ पत्र देकर स्वयं के असलहे के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। थाने पर मौजूद अभिलेखों की जांच में उक्त युवक को पुलिस ने क्लीन चिट भी दे दी लेकिन जैसे ही उक्त युवक के नाम व पिता के नाम के साथ सीसीटीएनएस पोर्टल पर जांच की गई तो उससे संबंधित नरही थाने में दर्ज मु$कदमे की शीट निकलकर सामने आ गयी। बस इसी के साथ पुलिस ने उसके आवेदन को निरस्त करते हुए उक्त युवक के खिलाफ तथ्यों को छुपाने व पुलिस को गुमराह करने का मुकदमा दर्ज कर लिया।
ऐसे ही मामले में क्षेत्र के कई लाइसेंस के शौकीनों के अरमानों को सीसीटीएनएस आये दिन धूल में मिला रहा है। विगत एक माह में दर्जनों चरित्र व हथियार के आवेदकों को पुलिस ने फटकार लगाकर थाने से बाहर का रास्ता दिखाया है। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक बांसडीहरोड शैलेश सिंह ने बताया कि आवेदकों द्वारा जानबूझकर कर पुलिस को शपथ पत्र देकर स्वयं को बेदाग बताया गया था लेकिन सीसीटीएनएस जांच में उनके विरुद्ध अन्य थानों में दर्ज मुकदमें की बात सामने आ जा रही है। इसके बाद उनका आवेदन निरस्त करने व कार्रवाई की संस्तुति कर दी गयी है। सीसीटीएनएस की जांच प्रणाली ने जहां एक तरफ पुलिस की जांच को एक नयी धार दी है वहीं अब तक फर्जीवाड़े से आवेदन करने वालों की बेचैनी भी बढ़ गयी है।
असलहा के शौकीनों की पिस्टल बनीं पहली पसंद
लाइसेंसी असलहे की मुराद कुछ लोगों में आत्मरक्षा के लिहाज से होती है, जबकि अधिकतर लोग इसे स्टेटस सिंबल भी मानते हैं। इसी शौक का परिणाम है कि असलहा लाइसेंस के लिए वर्ष 2012 से लगी रोक जब हटी तो देखते ही देखते 6085 लोगों ने असलहे की चाह में आवेदन कर डाले। यह बात अलग है कि इस अवधि में निर्गत किए गए 56 शस्त्र लाइसेंसों में कई नाम रसूखदारों के भी हैं। असलहा चाहने वालों की पिस्टल पहली पसंद रही। यही वजह रहा कि 56 में से 48 लोगों ने रिवाल्वर व पिस्टल का लाइसेंस लिया है जबकि 7 लोगों को राइफल का लाइसेंस दिया गया है।
जनहित याचिका के बाद से थी रोक
शस्त्र लाइसेंस को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका के बाद इस रोक लगा दी गई थी। पांच वर्ष में रोक हटते ही शौकीनों की लाइसेंस के लिए लंबी कतार लग गई। हालांकि लाटरी खुशनसीबों की ही खुली। एसबीबीएल (सिंगल नाल), डीबीबीएल (डबल नाल) व रायफल के अलावा रिवाल्वर व पिस्टल पहली पसंद बनी।
जटिल है प्रक्रिया
लाइसेंस आवेदकों के आपराधिक रिकार्ड के बारे में आस-पास के थानों से जानकारी ली जाती है। आवेदक का चरित्र वेरीफिकेशन (आवेदक की आपराधिक छवि जानने के लिए) भी पुलिस व खुफिया विभाग से कराया जाता है। आवेदक को मुख्य चिकित्साधिकारी से फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है। आवेदक के पूर्णत: स्वस्थ होने पर ही लाइसेंस दिया जा सकता है, यदि आवेदक का कोई अंग-भंग है या फिर कोई ²ष्टि दोष है तो उसे लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। आवेदक को अपना आइडी प्रूफ, निवास प्रमाण पत्र और फिटनेस प्रमाण पत्र को आवेदन के साथ ही जमा करना होता है।वर्ष 2018 में शस्त्र के लिए रोक हटते ही सबसे अधिक 4494 आवेदन पहुंच गए, जबकि वर्ष 2019 में 1591 लोगों ने अर्जी लगाई।