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उत्तर प्रदेश

राम नगरी में मंदिरों की संपत्ति को बचाने के लिए संतों ने किया विरक्त सन्त परिषद का गठन

राम नगरी में मंदिरों की संपत्ति को बचाने के लिए संतों ने किया विरक्त सन्त परिषद का गठन
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अखिल भारतीय विरक्त संत परिषद का हुआ गठन, इससे द्वारा होगा अब मठ मन्दिर सन्त की संम्पति की रक्षा

दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास अध्यक्ष बने,महंत बृजमोहन दास उपाध्यक्ष, महामंत्री बने लक्ष्मण किलाधीश मैथिली रमण शरण,कोषाध्यक्ष पद पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य का हुआ चयन

वासुदेव यादव

अयोध्या। विश्व विख्यात श्री रामनगरी के मठ मंदिरों की देखरेख सुरक्षा व संपत्ति बचाने को लेकर संत धर्माचार्यों ने एक बड़ी कार्यवाही करते हुए एक अखिल भारतीय विरक्त संत परिषद का गठन किया। परिषद के गठन को लेकर संतो ने बकायदा दशरथ महल मन्दिर परिसर में बैठक करके सर्वसम्मति से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष महामंत्री व कोषाध्यक्ष के साथ ही सदस्यों का चयन किया। इसके अलावा

बैठक में 11 सदस्य समिति का भी गठन हुआ।

आज यह बैठक राम नगरी के प्रसिद्ध पीठ श्री दशरथ राजमहल बड़ा स्थान में बिंदुगाद्याचार्य स्वामी श्री देवेंद्र प्रसादाचार्य जी महाराज के पावन अध्यक्षता व श्री राम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष महन्त जनमेजय शरण जी महाराज के संचालन में किया गया।

इस क्रम में अखिल भारतीय विरक्त संत परिषद के अध्यक्ष पद पर दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास तो उपाध्यक्ष खाक चौक के महंत बृजमोहन दास को बनाया गया। महामंत्री पद पर आचार्य पीठ श्रीलक्ष्मण किला के किलाधीश महंत मैथिली रमण शरण व कोषाध्यक्ष पद पर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी को संतो ने बैठक करके सर्वसम्मति से पदाधिकारी बनाया गया। सभी के चयन पर अयोध्या के मुख्य सन्तो महंतो ने सहमति प्रदान की है।

इस बैठक में मुख्य रूप से उत्तर तोत्रादी मठ के महंत स्वामी अनंनताचार्य जी, रसिकपीठ श्री जानकीघाट बड़ा स्थान के रसिकपीठाधीश्वर महंत जनमेजय शरण, बड़ा भक्त माल के महंत अवधेश दास, श्री दशरथ राजमहल बड़ा स्थान में बिंदुगाद्याचार्य स्वामी श्री देवेंद्र प्रसादाचार्य जी महाराज के कृपापात्र शिष्य रामभूषण दास कृपालु जी, महंत परशुराम दास, महन्त राम दास, करुणा निधान भवन के महंत रामदास जी, नागा हरिदास, नागा राम लखनदास, महन्त राम सनेही दास, रामजी दास, छबिराम दास,छोटू महराज, महन्त अर्जुनदास, बैजूदास जी महाराज,सहित बड़ी संख्या संत धर्माचार्य मौजूद रहे।

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