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उत्तर प्रदेश

दलित नेता पार लगाएंगे सपा की नैया, अनूप सागर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में

दलित नेता पार लगाएंगे सपा की नैया, अनूप सागर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में
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नई दिल्ली। दलित मुस्लिम गठजोड़ एक करने में अगर समाजवादी पार्टी सफल रहती है तो दिल्ली की राजनीति में बदलाव के संकेत हैं। बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन के बाद बदले हालात में दिल्ली के दलित नेताओं में सुगबुगाहट है। ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी के मुखिया किसी दलित क्रांतिकारी नेता को आगे लाते हैं तो उन सीटों पर अच्छा खासा असर पड़ेगा जहां पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग अच्छी खासी संख्या में रहते हैं और वोट भी करते हैं। गौरतलब हो कि पिछले विधानसभा चुनाव और नगर निगम चुनाव में बसपा और सपा को बराबर वोट मिले थे।

समाजवादी पार्टी का पूर्वी और बाहरी दिल्ली में अच्छा खासा प्रदर्शन देखने को मिला है। चूंकि दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस अपने वजूद के लिए ही लड़ रहे होंगे और ऐसे में काडर वोटर के जरिए समाजवादी पार्टी किला फतह कर सकती है। मालूम हो कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिल्ली प्रदेश इकाई भंग की हुई है। ऐसे में समाजवादी पार्टी से जुड़े लोगों में आम राय बन रही है कि अगर दमदार नेतृत्व मिला तो पांच से दस विधानसभा की सीटें जीती जा सकती हैं। शाहदरा क्षेत्र के दलित क्र्रांतिकारी नेता और लम्बे समय से प्रदेश कार्यकारिणी में महासचिव चले आ रहे अनूप सागर का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। पार्टी से जुड़े लोगों की राय में अनूप सागर की आम जनता व सामाजिक संगठनों तक में अच्छी खासी पहुंच है और अगर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अनूप सागर को दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष मनोनीत किया तो बड़ी संख्या में दलित वोटर समाजवादी पार्टी की तरफ हो जाएंगे। उल्लेखनीय है कि सीमापुरी सहित दिल्ली की कई सीटें हैं जहां दलित और मुस्लिम वोट बैंक ही निर्णायक होता है। यहां पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वोटर भी किसी भी उम्मीदवार की तकदीर बदल सकते हैं।

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