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हिंदू-दलित बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाती हैं ये मुस्लिम नवयुवती- तहनियत शेख

हिंदू-दलित बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाती हैं ये मुस्लिम नवयुवती- तहनियत शेख
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सर्वविद्या की राजधानी काशी नगरी में शिक्षा के जरिए आपसी सद्भाव बढ़ाने का ऐसा कार्य हो रहा है, जिससे लोगों को सबक लेना चाहिए।

धार्मिक नगरी काशी की तहनियत हिन्दू खासकर दलित बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती हैं। इस कार्य के लिए कोई मजहबी दीवार आड़े नहीं आती।

वाराणसी। गरीब बच्चों को शिक्षित करना सबसे बड़ी इबादत है, अध्यापक के लिए छात्र की कोई जाति या धर्म नहीं होता। ऐसी ही सोच को आगे बढ़ाने के मकसद से सर्वविद्या की राजधानी धार्मिक नगरी काशी के राजातालाब में मुस्लिम नवयुवती तहनियत ने गैर मुस्लिम गरीब- दलित बच्चों को शिक्षा देने का नेक काम शुरू किया है।

एक तरफ जहां पूरे देश में धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ काशी की एक मुस्लिम नवयुवती का गैर धर्म के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना अपने आप में एक मिसाल है।

खुद भी पढ़ रही और बच्चों को भी दे रही नि:शुल्क शिक्षा

तहनियत खुद पढ़ाई कर रही है और बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं। तहनियत बच्चों के लिए किसी देवदूत से कम नहीं है जो शिक्षा तो पाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति उस में बाधा आ रही है।

ऐसे बच्चों के सपनों को उड़ान देने के लिए नि:शुल्क शिक्षा देना शुरू किया है। जिसका परिणाम सामने आने लगा है।

वाराणसी के राजातालाब में रहने वाली 20 वर्षीय तहनियत खुद 12वीं पास होने के बाद आईटीआई की शिक्षा ग्रहण कर नीट की तैयारी कर रही हैं। संसाधनों के अभाव होने के बावजूद उसके फौलादी इरादों पर कोई मजहबी दीवार आड़े नहीं आई।

तहनियत का परिवार हिन्दू बहुल इलाके में रहता है, जहां आसपास दलित एवं गरीब रहते हैं। उन्होंने अपने आस-पड़ोस के गरीब बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई है। तहनियत अपने घर से पांच सौ मीटर दूर दलित बस्ती में उक्त बच्चों को पढ़ाती है, उक्त बस्ती में चलने वाले इस स्कूल में एलकेजी से कक्षा आठ तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है। आज इस स्कूल में आसपास के लगभग चालीस बच्चे पढ़ाई करते हैं। ये बच्चे शाम तक पढ़ते हैं। आज उनके यहां पढ़ने आने वाले छात्र उनको 'मेरी स्कूल वाली दीदी' कहकर बुलाते हैं।

सभी छात्र गैर मुस्लिम

उनके स्कूल की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मुस्लिम शिक्षिका के पास पढ़ने आने वाले सभी छात्र गैर-मुस्लिम खासकर दलित हैं। तहनियत के इस काम में शुरुआत में मज़हबी अड़चनें भी आईं, लेकिन अपने मजबूत इरादों के बल पर उन्होंने छात्रों के बीच धर्म की दीवार को कभी आड़े नहीं आने दिया।

पूरा परिवार देता है साथ

तीन बहन भाइयों मे सबसे बड़ी तहनियत के इस काम में उनकी छोटी बहन तमन्ना और सरकारी शिक्षक पिता रज्जब शेख और सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता भी सहयोग करते हैं। तहनियत ने बताया कि अभी उनके पिता और क्षेत्र के लोग इस कार्य के लिए पैसे का इन्तजाम करते हैं। लेकिन साक्षरता को बढ़ाने के लिए सभी के सहयोग की जरुरत है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए अन्य लोग भी आगे आयेंगे।

बच्चों को पढ़ाना पांच समय की इबादत के बराबर तहनियत ने कहा, पढ़ने आने वाले बच्चों के माता-पिता के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। इसलिए वह छात्रों से कोई शुल्क नहीं लेतीं। तहनीयत ने एक वर्ष पूर्व से पढ़ाना शुरू किया है। शुरुआत के तीन महीनों में लगभग 10 बच्चे आये थे लेकिन अब 40 बच्चे रोज पढ़ने आते हैं। मेरे लिए बच्चों को पढ़ाना पांच समय की इबादत की तरह है।

पूजा गुप्ता ने बदली सोच, ऐसे मिली गरीब बच्चों को शिक्षा देने की प्रेरणा

तहनियत की सोच बदलने में पूजा गुप्ता निवासी राजातालाब का मुख्य रोल है। तहनियत ने बताया कि वह एक साल पहले एक दिन राजातालाब में अपने सहेली पूजा गुप्ता के घर मिलने के लिए गई तो पूजा के घर नि:शुल्क पढ़ रहे गरीब बच्चों के बारे मे जाना पूजा ने ही बताया कि इसी तरह गांव में सैकड़ों गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित है और उनको पढ़ाने वाला कोई नहीं है। इस कारण उक्त बच्चे शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं। इसके बाद उसने पूजा की मदद से अन्य गरीब बच्चों को गांव में एकत्रित कर उन्हें मुफ्त पढ़ाना शुरू कर दिया।

स्पेशल स्टोरी रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता वाराणसी

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