Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

छत्रपति शिवाजी ने अपनी कुलदेवी को यहां किया था स्‍थापित

छत्रपति शिवाजी ने अपनी कुलदेवी को यहां किया था स्‍थापित
X

वाराणसी, । पंचक्रोसी परिक्रमा मार्ग पर भोजूूबीर में मां दक्षिणेश्वरी काली का मंदिर स्थित है। भय -बाधाओं से मुक्ति और मंगल कामना से दर्शन के लिए मंदिर में वर्षपर्यंत भक्तों की जुटान होती है। पर्व-त्योहार और खास कर नवरात्र में रेला उमड़ता है।

इतिहास : मुगलों से लोहा ले रहे छत्रपति शिवाजी 16वीं शताब्दी में बनारस आए तो उन्होंने पंचक्रोसी परिक्रमा की। उस दौरान इस मार्ग पर ही अपने कुलदेवी की प्रतिमा स्थापित की। पंडितों ने तांत्रिक विधान से उनका राज्याभिषेक कराया।

नामकरण : देवालयों में देव विग्रहों के मुख आमतौर पर उत्तर या पूरब दिशा में होते हैैं। इससे इतर देवी काली का मुख दक्षिण की ओर है। इस कारण माता दरबार दक्षिणेश्वरी काली मंदिर कहा गया।

वास्तुकला : पंचक्रोसी रोड पर भोजूबीर में सड़क किनारे सामान्य भवन की तरह दिखने वाला मंदिर गुंबद विहीन है। इसकी दीवारें दो फीट तक मोटी हैैं। इतने वर्षों बाद भी क्षरण नहीं हुआ है। यह उस दौर की निर्माण तकनीक की विशिष्टता का भान कराता है। मुख्य द्वार को पत्थरों से आकर्षक रूप दिया गया है।

विशिष्टता : देवालय के गर्भगृह में मां काली के साथ ही भगवती दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान नरसिंह व भैरव बाबा के विग्रह स्थापित हैैं। ऐसे में एक साथ पांच देवों के दर्शन हो जाते हैैं। इससे अमूमन कई त्योहारों पर मान विधान के तहत भक्तों की जुटान होती है।

नवरात्र आयोजन : नवरात्र की सप्तमी तिथि को कालरात्रि स्वरूप में देवी का दर्शन पूजन और अनुष्ठान किया जाता है। महंत राजेश गिरी के अनुसार सप्तमी पर दोपहर बाद कालरात्रि दर्शन, तांत्रिक हवन, चक्रासन पूजा, महाआरती और 56 भोग की झांकी सजाई जाएगी।

ऐसे पहुंचें : देश भर से यहां पहुंचने के लिए नजदीकी बाबतपुर एयरपोर्ट है, ट्रेन से वाराणसी, मंडुआडीह

आदि नजदीकी रेलवेरूटेशन हैं। जबकि बस से वाराणसी कैंट स्‍टेशन उत्‍तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से आया जा सकता है। वाराणसी में मंदिर पंचक्रोसी यात्रा मार्ग पर भोजूबीर चौराहे से पांडेयुपर की ओर बढऩे पर थोड़ी ही दूर पर स्थित है।

Next Story
Share it