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उत्तर प्रदेश

2011 से अपने बूते चला रहे स्वच्छता अभियान

2011 से अपने बूते चला रहे स्वच्छता अभियान
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शशिभूषण सिंह सीतामढ़ी के मेजरगंज प्रखंड स्थित डुमरी कला गांव में साल 2011 से ही अपने बूते स्वच्छता अभियान चलाने में लगे हैं। कहते हैं, पहले तो लोग 'बेकारी में टाइमपास', पगला झाड़ू वाला' व न जाने और क्‍या-क्‍या ताने मारते थे, लेकिन हिम्‍मत कायम रखा। हार नहीं मानी। अपने पैसे से झाड़ू व टोकरी खरीदकर साफ-सफाई में लगे रहे। जहां कहीं गंदगी दिखती, साफ कर देते। शशिभूषण सिंह बताते हैं कि इरादे व काम नेक हों तो लोग उसे समझते ही हैं। उनके साथ भी ऐसा ही हुआ। लाेग तो आज भी पगला झाड़ू वाला' कहते हैं, लेकिन अब इसमें उनका प्‍यार झलकता है। शशिभूषण सिंह लोगों को खुले में शौच के विरोध में भी जागरूक करते हैं।

ऐसे मिली प्रेरणा, फिर अकेले ही शुरू किया काम

बकौल शशिभूषण सिंह, जब वे पढ़ाई करते थे, तब अपने इलाके में पसरी गंदगी देखकर उन्‍हें पीड़ा होती थी। उन्‍ही दिनों गांव के एक भाग में बीमारी फैलने से कई लोगों की मौत ने उन्‍हें झकझेार दिया। तभी उन्‍होंने गंदगी के खिलाफ स्‍वच्‍छता का संकल्‍प ले लिया। इसे लिए उन्‍होंने समाज के सहयोग के लिए विलंब नहीं किया। अकेले ही मुहिम शुरू कर दी।

पत्‍नी ने भी दिया साथ, जरूरत पड़ी तो बेच दिए गहने

परिवार के आर्थिक हालात अच्‍छे नहीं थे, समाज के ताने भी मिलने लगे थे। लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी। बाद में उनकी पत्नी ने भी साथ दिया। स्‍वच्‍छता अभियान में जरूरत के सामान के लिये अपने गहने तक बेंच डाले।

जनसमर्थन से बने पंचायत वार्ड सदस्य, गांव को गर्व

शशिभूषण सिंह आज किसी परिचयके माेहताज नहीं। अ‍ब उन्‍हें लोगों का भरपूर प्‍यर भी मिलता है। यह जनसमर्थन ही है कि 2015 के पंचायत चुनाव में वे वार्ड सदस्य निर्वाचित हुए। आज पूरे डुमरी कलां के ग्रामीण उनपर गर्व करते हैं।

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