Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

रामनगर की विश्‍वप्रसिद्ध रामलीला में भोर की आरती देख लोग हुए आत्म विभोर : प्रेमशंकर मिश्र

X

रामनगर । रामनगर की रामलीला में भोर की आरती के लिए हर तरफ केवल नर नारी के सिर ही सिर दिख रहे थे। जिधर नजर घुमाइये उधर नर नारी। कभी सियाराम के जयकारे तो कभी हर हर महादेव की गगन भेदी उद्घोष लीलाप्रेमियों के रोम रोम में जोश व उल्लास भर रही थी। रामनगर ही नहीं दूर दराज से लाखों लीलाप्रेमी श्रीराम के भक्ति भाव के प्रेम रुपी डोर मे बंधे हुए, अनायास अयोध्या मैदान की ओर खिंचे चले आ आए। ऐसा लग रहा था कि मानो कोई दैवीय शक्ति है जो सभी को सम्मोहित कर अपनी ओर खींच रही हो।

भोर तक हर हर महादेव की गूंज

सूर्योदय से पूर्व पूरा लीलास्थल लीलाप्रेमीयो से खचाखच भर गया। छतों, सड़कों के साथ ही चारदीवारी पर जहां जगह मिली वहीं लीलाप्रेमी खड़े हो गए। उजियारे की हल्की चमक उभरी थी। तभी लगभग 5.35 बजे दुर्ग से आने वाली ढोल नगाड़ों की आवाज कुंवर के निकलने का आभास कराती हैं। हर हर महादेव का उद्घोष शुरू हो जाता है। लगभग 3 मिनट का समय लगा होगा और कुंवर पैदल ही श्रीराम के सिंहासन के सामने पहुंच गए।लगभग 5.38 बजे विश्व प्रसिद्ध रामलीला के सबसे महत्वपूर्ण भोर की आरती सूर्योदय की पहली किरण के साथ शुरू होती है। लगभग 5 मिनट तक होने वाली प्रसिद्ध आरती के दरम्यान पूरा वातावरण भगवान के नाम के जयकारे से गुंजायमान हो उठता है, लीलाप्रेमी भक्ति सागर में डूब जाते हैं। लाखों की भीड़ के बावजूद कोई शोरगुल नहीं केवल घंटी की आवाज के साथ ही श्रीराम नाम व हर हर महादेव की ध्वनि तरगें की धुन सुनाई दे रही हो।

अनुपम झांकी मानस पटल पर अंकित

इस पल को मानो सभी अपने ह्रदय में समाने को आतुर रहे। कुछ तो अद्भुत पल को अपने मोबाइल में कैद करने मे लगे रहे। तो वहीं पुलिस भी पूरी तन्मयता से लीला को संम्पन्न कराने में लगी रही। रविवार को श्री राम राज्याभिषेक आरती, जो कि भोर की आरती के नाम से प्रसिद्ध है। आरती लेने के लिए अयोध्या मैदान व आसपास के भवनों पर देर रात्रि से ही लीला प्रेमी डटे रहे। रंग बिरंगी महताबी की रोशनी में इस अनुपम झांकी को लोगों ने अपने मानस पटल पर अंकित कियस।

सिंहासन पर श्रीराम

भगवान भाष्‍कर ने जैसे ही अपनी आंखें खोली माता कौशल्या ने अयोध्या के सिंहासन पर विराजमान श्री राम सीता साथ में खड़े भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न तथा श्री राम के चरणों में नतमस्तक भक्त शिरोमणि हनुमान जी की आरती उतारी। कुंवर अनंत नारायण सिंह ने भी अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित परंपराओं का बखूबी निर्वहन किया। वहीं दूसरी तरफ पंच स्वरुपों को कंधे पर उठाए भक्तगण पांचों स्वरूपों को बाजार भ्रमण का प्रसंग संपन्न कराने लीला स्थल से बलुआघाट स्थित धर्मशाला पहुंचे।

Next Story
Share it