इस्लामिक प्राथमिक विद्यालय लिखने के पीछे खतरनाक साजिश तो नहीं

गोरखपुर : परिषदीय विद्यालयों को इस्लामिक प्राथमिक विद्यालय लिखाने की मंशा को प्रबुद्ध वर्ग खतरनाक साजिश मान रहा है। लोगों में इस बात की चर्चा है कि गोरखपुर-बस्ती मंडल के साथ प्रदेश के अन्य स्थानों पर की गई यह साजिश खतरनाक अंजाम देने के लिए की गई है। प्रशासन ने यदि ऐसे लोगों पर सख्ती नहीं की तो आने वाले दिनों में स्थिति सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए काफी रहेगी।
मालूम हो कि गोरखपुर में तीन प्राथमिक विद्यालय, देवरिया में छह प्राथमिक विद्यालय, महराजगंज और सिद्धार्थनगर जिले में एक-एक प्राथमिक विद्यालयों में यह कुचक्र रचा गया था। खतरनाक मंसूबे का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त सभी प्राथमिक स्कूलों में रविवार को पढ़ाई होती थी और शुक्रवार को अवकाश रहता था। इतना ही नहीं सिद्धार्थनगर के प्राथमिक विद्यालय में उर्दू में मजहबी शिक्षा भी दी जा रही थी।
देवरिया के एक विद्यालय पर इस्लामिक प्राथमिक विद्यालय की जानकारी की खबर जागरण ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इसके बाद गोरखपुर-बस्ती मंडल में ऐसे विद्यालयों की तलाश के लिए जागरण ने अभियान चलाया। तब विभाग जागा। अन्यथा साजिशकर्ताओं ने परिषदीय स्कूलों को इस्लामिक प्राथमिक विद्यालय करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। सवाल यह उठता है कि यह किसकी साजिश हो सकती है। वर्षो से इस्लामिक प्राथमिक विद्यालय लिखे इन स्कूलों के बारे में क्या विभाग को जानकारी नहीं थी। यदि जानकारी नहीं थी तो यह विभाग की गंभीर लापरवाही है और इसके लिए दंड की व्यवस्था होनी चाहिए।
जिलाधिकारी सुजीत कुमार के निर्देश पर सोमवार को छह विद्यालयों से इस्लामिया शब्द मिटाकर प्राथमिक विद्यालय लिखवाया गया, जिसमें सलेमपुर का नवलपुर, भलुअनी का जैतपुरा, रामपुर कारखाना का करजहां, ईश्वरी पोखर¨भडा, शामी पट्टी और देसही देवरिया का हरैया शामिल है। दुस्साहस यह कि देसही देवरिया के हरैया में स्थित प्राथमिक विद्यालय से इस्लामिया शब्द हटाने को लेकर गांव के मुसलमानों ने विरोध कर दिया। इसको देखते हुए सोमवार की रात बीएसए संतोष कुमार देव पांडेय हरैया गांव पहुंचे और लोगों से बातचीत की लेकिन बात नहीं बनी। डीएम ने गांववालों को जिला मुख्यालय पर बुलवाया। एडीएम वित्त एवं राजस्व सीताराम गुप्त ने मंगलवार को दोपहर में ग्राम प्रधान मो. जावेद खान, प्रधानाध्यापक जहांगीर आलम व अन्य गांववालों से बातचीत की। गांववालों का कहना था कि इस्लामिया शब्द लंबे समय से प्रयोग हो रहा है। एडीएम ने ग्रामीणों की मंशा से डीएम को अवगत कराया। इसके बाद डीएम ने सख्त तेवर अपनाते हुए एसडीएम सदर रामकेश यादव को इस्लामिया प्राथमिक विद्यालय हरैया माध्यम उर्दू मिटवाकर प्राथमिक विद्यालय हरैया लिखवाने का निर्देश दिया। एसडीएम व खंड शिक्षा अधिकारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे। तब जाकर प्राथमिक विद्यालय हरैया लिखवाया गया।