Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

माब लिंचिंग : कानून को लागू करने का तरीका बने बेहतर : मोहम्मद उस्मान

माब लिंचिंग : कानून को लागू करने का तरीका बने बेहतर : मोहम्मद उस्मान
X

मोहम्मद उस्मान ने भीड़ हिंसा पर किए विचार व्यक्त करते हुए कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के बावजूद भीड़ का अपने हाथ में कानून लेकर फिर से अलवर राजस्थान में एक बेगुनाह शख्स का कत्ल करना जिसमें पुलिस की भी शिरकत और रियासती हुकूमत की पुश्तपनाही साबित होना अपने आप में मुल्क के कानून के साथ-साथ सबसे बड़ी अदालत को खुल्लम-खुल्ला चैलेंज और उसकी तौहीन है।

इस जैसे तमाम मामलों में जहां हमारे प्रधानमंत्री की खामोशी जो दूसरे हर छोटे-बड़े मामले में बोलते हैं कई तरह के शुबहात पैदा करती है वहीं आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का बीफ खाना जारी रहने तक ऐसी वारदातें जारी रहना जैसा विवादित बयान भी काबिल मज़म्मत और गैर जरूरी बहस या लोगों के दर्मियान दूरियां बढ़ाने वाला है।

हालांकि की सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के बाद अब ऐसे मामलात को रोकने और भीड़ को सज़ा देने का सख्त कानून बनकर जल्दी ही सामने आ जाएगा लेकिन सिर्फ एक अच्छा या मजबूत कानून बन जाना ही काफी नहीं बल्कि किसी जुर्म को होने से रोकने या मुजरिमों को सज़ा के जरिए उनके अंदर कानून का खौफ पैदा करने के लिए उसके लागू करने का बेहतर तरीका होना भी बेहद जरूरी है।

अगर हम गौर करें तो पता चलेगा कि हमारे मुल्क में पहले भी हुकूके इंसानी, तालीम, इत्तला, खुराक, रोजगार और बराबरी जैसे कई बुनियादी हुक़ूक़ के लिए एक से एक अच्छे कानून बनाए गए लेकिन इंतज़ामिया और अदलिया की तरफ से उनके लागू करने में जो कोताही बरती गई उसकी वजह से अभी तक उन कानूनों के जरिए आवाम को हासिल होने वाले मकासिद पूरे नहीं हो सके हैं।

किसी भी हादसे या वारदात के बाद चलने वाली तहरीकें या आंदोलन हुकूमत पर दबाव डालकर कानून तो बनवा सकती हैं लेकिन जब तक उनके लागू करने का तरीका बेहतर करने का निजाम बेहतर नहीं बनाया जाएगा तब तक लोगों की जान माल और उनके हुकूक की हिफाजत बेहतर तरीके से नहीं हो सकेगी।

इस भीड़ हिंसा/हुजूमी तशद्दुद या मोब लिंचिंग में अब तक करीब 64 लोग मारे जा चुके हैं लेकिन अभी तक किसी भी मामले में भीड़ को इबरत नाक सज़ा ना मिलना मेरी इस बात की ताईद करने के लिए काफी है।.... रिपोर्ट वारिस पाशा जनता की आवाज से बिलारी मुरादाबाद

Next Story
Share it