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उत्तर प्रदेश

रकबर की मौत चोट से पहुंचे 'सदमे' से हुई- पोस्टमार्टम रिपोर्ट

रकबर की मौत चोट से पहुंचे सदमे से हुई- पोस्टमार्टम रिपोर्ट
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राजस्थान के अलवर में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मारे गए रकबर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि रकबर की मौत चोट से उन्हें पहुंचे 'सदमे' की वजह से हुई है। रकबर खान की शनिवार को संदिग्ध गोरक्षकों ने लालावंडी गांव में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। रकबर की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए बनाए गए चार सदस्यों के पैनल के यह स्वीकार किया है कि इस मामले में पुलिस की की तरफ से भी लापरवाही हुई है।

कमेटी का नेतृत्व कर रहे आईजी(लॉ एंड ऑर्डर) एनआरके रेड्डी ने बताया, 'शुरुआती जांच में हमने पाया है कि इस मामले में कुछ गड़बड़ी हुई है। इसमें तीन घंटे का समय था, जिसे गंवा दिया गया। अगर पुलिस निपुणता के साथ काम करती तो इस घटना को होने से रोका जा सकता था।'

पुलिस पर भी आरोप लगाया जा रहा कि उसने भी रकबर के साथ मारपीट की और उसके घायल होने के बाद भी उसे अस्पताल में भर्ती कराने में देरी की गई है। रकबर को अस्पताल में भर्ती कराने से पहले उन्होंने गायों को गऊशाला पहुंचाया। वहीं उसे अस्पताल ले जाने की बजाय थाने ले जाया गया। इतना ही नहीं उसे थाने ले जाते वक्त पुलिसवालों ने रास्ते में एक जगह पर चाय भी पी। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस तरह से तीन घंटे गंवा दिए।

साथ ही रेड्डी ने बताया कि इस मामले में एएसआई मोहन सिंह को सस्पेंड कर दिया गया और दो कांस्टेबलों का अलवर पुलिस लाइन तबादला कर दिया गया।

अलवर मॉब लिंचिंग: पुलिस की लापरवाही आई सामने, चार के खिलाफ कार्रवाई

राज्यसभा में लिन्चिंग विरोधी कानून की मांग

रकबर खान का मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में भी उठा तथा तृणमूल सहित विभिन्न दलों के सदस्यों ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक कानून बनाए जाने की मांग की। शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से भीड़ द्वारा पीट पीट कर मार डालने की घटनाओं में करीब 88 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

शांता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी इस मुद्दे पर कहा है कि यह ठीक नहीं है और सरकार को इस पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाना उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए और कानून बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। विभिन्न दलों के सदस्यों ने शांता क्षेत्री के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया और सरकार से इस मुद्दे का शीघ्र समाधान निकालने की मांग की। सभापति एम वेंकैया नायडू ने उम्मीद जताई कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी।

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