राहुल के सम्मान में माया की बड़ी कार्रवाई, जयप्रकाश सिंह बीएसपी से बर्खास्त
बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विदेशी मूल के खिलाफ बयानबाजी करने वाले पार्टी के उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह को शनिवार को पार्टी से निकाल दिया. मायावती ने सिंह को दो दिन पहले यह बयान देने के तुरंत बाद अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था. पार्टी प्रमुख की अध्यक्षता में बसपा नेताओं की राष्ट्रीय बैठक में यह फैसला किया गया. बैठक के बाद पार्टी की ओर जारी बयान के अनुसार सिंह की 'अनर्गल' बयानबाजी को बसपा के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत यह फैसला किया गया.
साथ ही पार्टी प्रमुख ने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को किसी भी दल के नेता अथवा व्यक्ति के खिलाफ और पार्टी की रणनीति के बारे में इस तरह की अनधिकृत बयानबाजी करने से बचने की सख्त हिदायत दी. सूत्रों के अनुसार बैठक में इस साल के अंत में तीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की तैयारियों का भी जायजा लिया गया.
बैठक में बसपा के तीनों राज्यों के पार्टी संयोजक और प्रदेश इकाइयों के नेता भी मौजूद थे. इस दौरान मायावती ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संगठनात्मक ढांचे को मजबूत बनाने और चुनावी रणनीति पर विचार विमर्श किया. सूत्रों के अनुसार मायावती ने कहा कि तीनों राज्यों में बसपा चुनाव लड़ेगी.
सूत्रों के अनुसार बैठक में तय किया गया गया कि चुनाव में गठबंधन को लेकर अंतिम फैसला अन्य दलों के साथ बातचीत के बाद बसपा प्रमुख करेंगी. उन्होंने प्रदेश इकाइयों को ब्लॉक स्तर पर पार्टी का संगठनात्मक ढांचा मजबूत बनाने का निर्देश दिया. साथ ही पार्टी के प्रदेश नेताओं को भविष्य में संभावित गठबंधन और चुनावी रणनीति से जुड़े किसी भी मुद्दे पर मीडिया में बयानबाजी करने से बचने की स्पष्ट हिदायत भी दी गई है.
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में बसपा और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ने की संभावनाएं टटोल रहे हैं. इसके मद्देनजर मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के साथ बसपा नेतृत्व की रणनीतिक चर्चाओं का शुरुआती चरण पूरा हो चुका है.
इस बीच छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के साथ भी हाल ही में मायावती की मुलाकात हो चुकी है. समझा जाता है कि बसपा प्रमुख ने कांग्रेस नेतृत्व से गठबंधन होने की स्थिति में तीनों राज्यों में मिलकर चुनाव लड़ने की शर्त रखी है.