अपर निजी सचिव भर्ती की होगी सीबीआई जांच, सीएम योगी ने दी हरी झंडी
सचिवालय में अपर निजी सचिव के 250 पदों पर हुई भर्ती की जांच सीबीआई से कराए जाने को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरी झंडी दे दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद फाइल मुख्य सचिव को भेज दी गई। इस मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिए जल्द ही राज्य सरकार की ओर से केंद्र को संस्तुति भेजी जाएगी।
अखिलेश राज के पांच साल के दौरान हुई भर्तियों की जांच कर रही सीबीआई को कुछ ऐसे सुबूत हाथ लगे थे, जिसमें सिर्फ अखिलेश राज ही नहीं बल्कि माया राज से लेकर योगी राज तक में अपनाई गई भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठे थे।
सीबीआई के अपर निदेशक एके शर्मा ने 19 जून को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने के लिए अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया था। पहले इस पत्रावली पर कार्मिक विभाग से सुझाव मांगा गया। कार्मिक विभाग ने पत्रावली सचिवालय प्रशासन को भेज दी थी।
बाद में सचिवालय प्रशासन ने कार्मिक विभाग को इस पर निर्णय करने के लिए कहा था। बाद में मुख्य सचिव स्तर से इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की सहमति बनी और पत्रावली मुख्यमंत्री को भेज दी गई थी। बुधवार को मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने को हरी झंडी दे दी।
क्या है पूरा मामला
पिछली समाजवादी सरकार के दौरान यूपीपीएससी के जरिये हुई भर्ती की जांच की सिफारिश की थी। 1 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 के बीच हुई भर्ती में हुई अनियमितता की जांच सरकार ने सीबीआई को सौंपी दी थी। जांच के दौरान सीबीआई को शिकायत मिली कि 2010 में अपर निजी सचिव के 250 पदों पर हुई भर्ती में भी घालमेल है।
यह भर्ती प्रक्रिया मायावती सरकार में शुरू हुई थी। अखिलेश सरकार के दौरान तीन चरणों में परीक्षा हुई और दो चरणों के परिणाम घोषित हुए। योगी सरकार आने के बाद तीन अक्तूबर 2017 को इस भर्ती के अंतिम परिणाम घोषित किए गए और आनन फानन में चयनित किए गए 237 अभ्यर्थियों में से अधिकतर को जॉइन करा दिया गया। मामला 1 अप्रैल 2012 से पहले शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया का था जो 31 मार्च 2017 के बाद तक चली।