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बीमार होने के बावजूद देश और बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं लालू!

बीमार होने के बावजूद देश और बिहार की राजनीति के केंद्र में हैं लालू!
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आगामी लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ 8-9 महीने का समय बचा है और देश की सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. राजनीतिक हलचलों के बीच सभी की नजरें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद पर टिकी हुई हैं. लालू प्रसाद चारा घोटाले मामले में सजायाप्ता हैं और बीमार होने के कारण फिलहाल बेल पर हैं. जमानत की शर्तों के मुताबिक लालू प्रसाद सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. हालांकि देश की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता उनसे लगातार मुलाकात कर रहे हैं और उनका हालचाल पूछ रहे हैं.

मंगलवार को तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के तीन सांसदों ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से पटना में मुलाकात की और केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में सहयोग देने की अपील की, हालांकि इस संबंध में लालू प्रसाद की ओर से कोई बयान ( बेल पर होने के कारण) नहीं आया.

इससे पहले यूपीए और एनडीए के कई नेता लालू प्रसाद से मुलाकात कर चुके हैं. मुलाकात करने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बीजेपी सांसद शत्रुध्न सिन्हा, रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा, जदयू के बागी नेता शरद यादव, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के अलावा बीजेपी के अश्विनी चौबे, कांग्रेस नेता अशोक गहलोत और शक्ति सिंह गोहिल भी शामिल हैं.

इन सबके अलावा, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लालू प्रसाद का हालचाल जानने के लिए 4 बार फोन कर चुके हैं. नीतीश कुमार की बातचीत को राजनीतिक रंग देने की भी कोशिश की गई, लेकिन नीतीश कुमार साफ कर चुके हैं कि सिर्फ हालचाल जानने के लिए उन्होंने लालू प्रसाद को फोन किया. बीमार लालू को देखने के लिए योगगुरु बाबा रामदेव भी जा चुके हैं.

वरिष्ठ पत्रकार सुकांत नागार्जुन के अनुसार, जब दो राजनेता मिलते हैं तो उनके बीच पॉलिटिक्स की बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है. ये अलग बात है कि लालू प्रसाद जमानत पर हैं और जमानत की शर्तों के अनुसार वे पॉलिटिकल एक्टिविटी में भाग नहीं ले सकते हैं, लेकिन प्राइवेट स्तर पर वो जो कर सकते हैं, वो कर रहे हैं.

सुकांत के अनुसार, लालू प्रसाद पिछड़ों के सबसे बड़े नेता हैं और कोई भी पार्टी उनकी उपेक्षा नहीं करना चाहेगी. बीजेपी को बिहार में किनारा करने में लालू प्रसाद की अहम भूमिका रही है और आगे भी रहेगी. तेजस्वी एक नेता के रूप में जरूर उभरे हैं, लेकिन वो लालू प्रसाद का स्थान नहीं ले सकते हैं.

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