कासगंज में ठाकुर बहुल गांव में जाटव दूल्हे के घोड़ी चढ़ गांव में बरात घुमाने की जिद पूरी

कासगंज - पंचायत, कोर्ट और थाने में चली 80 वर्ष की लड़ाई के बाद कल कासगंज में राजपूत गांव से गुजरा दलित का बैंड-बाजा और बरात। यहां पर संजय जाटव को घोड़ी पर चढऩे और कुछ किलोमीटर तक बारात निकालने के लिए करीब सात महीने तक संघर्ष करना पड़ा।
इसके बाद जाटव ने पंचायत, कोर्ट, थाना और राज्य सरकार के नुमाइंदे से संपर्क किया। हर जगह निराशा हाथ लगी, लेकिन संजय जाटव ने इन सभी सामाजिक बेडिय़ों को तोडऩे के लिए ठान ली थी। जिद के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा और शनिवार को पुलिस की मौजूदगी में खुशी-खुशी शादी हुई।
कासगंज में निजामपुर की चर्चित शादी कल को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गई। अनुसूचित जाति के दूल्हे की बरात पहुंची तो संगीनों के साए में शहनाई बजी। चप्पे-चप्पे पर खाकी तैनात रही। आला अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गांव में ही डेरा डाले रहे।
कासगंज जिले के गांव निजामपुर में सत्यपाल की बेटी शीतल की शादी जिला हाथरस थाना सिकंदराराऊ के ग्राम बसई बावस निवासी अनुसूचित जाति के दूल्हा संजय के साथ अप्रैल में होनी तय हुई थी। ठाकुर बहुल गांव में दूल्हे के घोड़ी चढ़ गांव में बरात घुमाने की जिद को लेकर माहौल तनावपूर्ण हो गया था। मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा।
दूल्हे के पक्ष में कानपुर में धर्मगुरुओं ने हस्तक्षेप करते हुए एलान किया था कि हाथी, ऊंट और घोड़ों के आकर्षण के साथ गांव भर में बरात घूमेगी। मामला गर्माते देख शासन के निर्देश पर डीएम आरपी सिंह ने सुलह करा दी। ठाकुर पक्ष राजी तो हो गया था, लेकिन साथ ही घोषणा भी की थी कि शादी वाले दिन गांव में मौजूद नहीं रहेंगे। समझौते की शर्तों पर शादी होना तय हुआ। इसी बीच प्रमाण पत्रों में लड़की को नाबालिग पाया गया तो शादी उसके बालिग होने तक शादी 15 जुलाई तक के लिए टाल गई थी।
यहां पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक कल शाम को संजय की बरात गांव में पहुंची, लेकिन वहां सुबह से ही एडीएम राकेश यादव, एएसपी डा. पवित्र मोहन त्रिपाठी, सभी सर्किल के सीओ, अधिकांश थानों के थानाध्यक्ष, एक सेक्शन पीएसी और बड़ी संख्या में आरक्षियों के साथ डेरा डाले हुए थे। सांय छह बजे बरात पहुंचते ही डीएम आरपी सिंह और एसपी शिव हरि मीणा भी पहुंच गए।
दूल्हा को सीधे बग्गी पर चढ़ाया गया और बरात निर्धारित मार्ग से दुल्हन के घर तक पहुंचाई गई। कहीं भी किसी भी प्रकार की कोई विवाद की स्थिति पैदा नहीं हुई। इस दौरान ठाकुर बहुल क्षेत्र में सन्नाटा पसरा रहा, तो दूसरी ओर मंगल गीत गूंजते रहे। खाकी के साए में रस्में कराई गईं। डीएम आरपी ङ्क्षसह ने बताया शादी को लेकर काफी संवेदनशीलता बरती गई। शादी निर्विघ्न संपन्न हो गई। इसके बाद आज सुबह संजय अपनी दुल्हन को लेकर अपने घर विदा हो गया।
संजय जाटव ने कहा कि गांव के दबंगों ने कहा था कि घोड़ी पर बरात लेकर दलित नही जाएगा। मैं बरात लेकर आया। करीब दस-बारह साल पहले मेरे ताऊ के लड़के की शादी इसी गांव में हुई थी। दबंगों ने घोड़ी पर बरात नही जाने दी थी।
मेरी शादी यहां तय हुई तो मैंने घोड़ी पर जाने की बात रखी, जिसका फिर गांव के दबंगों ने विरोध कर धमकी दी। प्रशासन ने मदद की। किसी तरह का कोई विवाद ना हो, इसके लिए पुलिस ने कई तरह की शर्तें रखी थीं। जिसमे बरात में असलहे और शराब न होने की बात थी। इसके साथ ही एक रूट तैयार किया था जिससे होकर ही बारात को गांव में से निकलना था।
बरात की सुरक्षा की सुरक्षा में एक एसपी रैंक के अधिकारी, एडीएम और एसडीएम चल रहे थे। इतना ही नहीं बारात के संग-संग दस इंस्पेक्टर, 22 सब इंस्पेक्टर, 35 हैड कांस्टेबल, 100 कांस्टेबल और पीएसी की एक प्लाटून भी चल रही थी। इस दौरान कार और जीप का भारी-भरकम काफिला भी चल रहा था। पहली नजर में देखने पर कोई वीआईपी या वीवीआईपी शादी लग रही थी। संजय बारात लेकर कासगंज निवासी शीतल के यहां जा रहा था।
टूट गया लोगों का भ्रम
इस बारे में दुलहन बनी दलित युवती की मां मधुबाला ने बताया था कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब गांव के ठाकुर मेरे घर आने वाली बरात को रोक रहे हैं। इससे पहले भी मेरी तीन ननद की शादी हुई थी। एक ननद की बरात गांव में बाजे-गाजे के साथ आधे रास्ते तक पहुंच गई थी। इसकी भनक जब ठाकुरों को हुई तो उन्होंने बरात को रास्ते में ही रोक दिया। बरात में हंगामा कर दिया। बरात को बिना बाजे के ही घर के दरवाजे तक आना पड़ा था। ऐसा ही कुछ मधुबाला की बेटी की शादी में भी होने वाला था. लेकिन इससे पहले प्रशासन सक्रिय हो गया था।