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उत्तर प्रदेश

जवाहरबाग घटना के 2 साल, शहीद एसपी सिटी के परिजनों को अभी भी न्याय और सम्मान का इंतजार

जवाहरबाग घटना के 2 साल, शहीद एसपी सिटी के परिजनों को अभी भी न्याय और सम्मान का इंतजार
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मथुराः मथुरा जनपद में दो वर्ष पूर्व दो जून के ही दिन सरकारी बाग (जवाहर बाग) पर कब्जा करे बैठे रामवृक्ष यादव एवं उसके ढाई-तीन हजार अवैध अतिक्रमणकारी साथियों से हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के परिजन आज उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मथुरा पहुंचे।

परिवार के सदस्यों ने जवाहर बाग में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी व उनके साथ अतिक्रमणकारियों से आमने-सामने लोहा लेते हुए मारे गए फरह थानाध्यक्ष संतोष यादव की पुण्यतिथि पर उनकी स्मृति में वृक्षारोपण कर जिला अस्पताल में रक्तदान किया। शहीद मुकल द्विवेदी के परिजनों का साफ कहना था कि हिंसा को दो वर्ष हो गए उन्हें न तो न्याय मिला और ना ही शहादत का सम्मान।

बताते चले कि 2 जून वर्ष 2016 में हुई घटना के कारण उस समय सरकार की भारी किरकिरी हुई थी। क्योंकि, कथित रूप से रामवृक्ष यादव के सरकार में अत्यधिक दबदबे वाले मंत्रियों से निकट संबंध बताए जा रहे थे। कहा जा रहा था कि यही मंत्री जिला प्रशासन को सख्त कार्यवाही करने से रोक रहे थे।

गौरतलब है कि 15 मार्च 2014 से जिला उद्यान विभाग के सौ एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले जवाहर बाग पर दो दिन के धरने के नाम पर बाबा जयगुरुदेव के तथाकथित सत्याग्रहियों, रामवृक्ष यादव एवं उनके साथियों ने कब्जा कर लिया था। जिला प्रशासन के तमाम प्रयासों के बाद भी वे लोग वहां से वापस जाने को तैयार नहीं थे।

यहां के बार एसोसिएशन अध्यक्ष विजय पाल सिंह तोमर द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की गई एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने मथुरा के जिला प्रशासन को अवैध अतिक्रमणकारियों को बाग से निकाल कर बाग पूरी तरह से खाली कराने के आदेश किए थे।

जिसके अनुपालन में रामवृक्ष यादव आदि से वार्ता करने पहुंचे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर उन लोगों ने लाठी, फरसा, बंदूक, तमंचा आदि प्राणघातक हथियारों से हमला कर दिया था। उनके प्रारम्भिक हमले में ही फरह के थानाध्यक्ष सन्तोष यादव एवं एसपी सिटी मुकल द्विवेदी शहीद हो गए।

भारी नुकसान उठाकर सतर्क हुई पुलिस ने अतिरिक्त बल के साथ दंगाईयों को खदेड़ने का प्रयास किया। जिसके चलते उन लोगों ने झोपड़ियों में आग लगाकर पुलिस बल को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया।

लेकिन उनमें रखे घरेलू गैस सिलेण्डरों के फटने से ज्यादातर अतिक्रमणकारी जलकर मर गए। इस घटना में दो पुलिस अफसरों सहित कुल 29 लोग मारे गए थे। जले-भुने अतिक्रमणकारियों के शव पहचानना भी संभव नहीं हो पाया था।

हालांकि, पुलिस के अनुसार जेल में बंद रामवृक्ष यादव के एक साथी ने उसका शव पहचानने का दावा किया था, किंतु इस दावे की आज तक पुष्टि नहीं हो पाई है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर वर्तमान में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) मामले की जांच कर रही है।

दुबई में कार्यरत दिवंगत मुकुल द्विवेदी के अनुज प्रफुल्ल द्विवेदी तथा उनकी भाभी अर्चना द्विवेदी ग्रेटर नोएडा स्थित विकास प्राधिकरण कार्यालय से मां, बच्चों एवं कुछ अन्य रिश्तेदारों के साथ आज मथुरा पहुँचे जवाहर बाग पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। शहीद एसपी सिटी की मां बताया कि परिवार के सभी सदस्य सरकार से न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं। और भगवान से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। अब तक हुई तमाम जांचों से शहीद की पत्नी अर्चना द्विवेदी सन्तुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार से न्याय की बात तो छोड़ो सम्मान भी नहीं मिला। प्रदेश सरकार के मंत्री एव स्थानीय विधायको से भी गुहार लगाई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा।

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