समारोह को लेकर सतर्क समाजवादी कुनबा
नई दिल्ली : सपा के रजत जयंती समारोह में समाजवादी कुनबा इकट्ठा शायद ही दिखे। जदयू और रालोद के मुखिया तो दूर, संभवत: इन पार्टियों का कोई प्रतिनिधि भी इसका हिस्सा नहीं बनेंगे। पांच नवंबर को होने वाले इस समारोह के लिए अगर समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की ओर से औपचारिक निमंत्रण आया तो जरूर कुछ प्रतिनिधि दिख सकते हैं।
समाजवादी परिवार को इकट्ठा करने की कोशिश में जुटे रहे जदयू का मन फिलहाल खट्टा है। लेकिन उससे भी ज्यादा आशंका है। सूत्रों की मानी जाए तो यह लगभग तय हो गया है कि यदि सपा नेतृत्व यानी मुलायम सिंह की ओर से यह संदेश दिया जाता है कि उत्तर प्रदेश चुनाव में वह हर किसी को साथ लेकर चलना चाहते हैं, तभी नजदीकी दिखाने का फायदा है। वर्ना यह निकटता घाटे का सौदा होगी।
मंगलवार को जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दिल्ली में थे। नीतीश, शरद यादव और महासचिव केसी त्यागी के बीच बैठक हुई तो उसमें समाजवादी पार्टी रजत जयंती समारोह में शामिल होने पर भी चर्चा हुई। सूत्र बताते हैं कि रालोद अध्यक्ष अजित सिंह से भी फोन पर बातचीत हुई। यह तो तय है कि नीतीश और शरद में कोई भी इस समारोह में नहीं जाएंगे। अजित सिंह भी वहां जाने को लेकर इच्छुक नहीं हैं। केसी त्यागी जाएंगे या नहीं, यह अगले एक-दो दिनों मे तय होगा। दरअसल, पार्टी चाहती है कि भविष्य की चुनावी रणनीति पर सपा की ओर से कोई संदेश मिले तो समारोह में जाएं। जदयू में संशय का एक बड़ा कारण और है। मुलायम या अखिलेश यादव की ओर से अब तक इन नेताओं से कोई भी संपर्क नहीं साधा गया है। ऐसे में यह डर भी सता रहा है कि समारोह में हिस्सा लेकर वह परिवार के अंदर छिड़ी लड़ाई में कहीं मोहरा न बन जाएं।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सपा के स्थापना दिवस पर लखनऊ में पांच नवंबर को आयोजित कार्यक्रम में भाग नहीं लेंगे। छठ पर्व के कारण उनकी प्रशासनिक व्यस्तता को इसका कारण बताया जा रहा है। वहीं सूत्रों ने संकेत दिया कि सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ओर से सीधे आमंत्रण नहीं मिलने के कारण उन्होंने कार्यक्रम में जाना मुनासिब नहीं समझा। उत्तर प्रदेश में महागठबंधन बनाने के सपा के ऑफर को लेकर भी जदयू बहुत उत्साहित नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि सपा के स्थापना दिवस समारोह में जदयू का कोई नेता शामिल नहीं होगा।