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मायावती ने गठबंधन के लिए सपा-कांग्रेस पर बनाया दबाव, सपा हर हाल में गठबंधन की पक्षधर
BY Anonymous28 May 2018 2:05 AM GMT

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Anonymous28 May 2018 2:05 AM GMT
सपा-बसपा व अन्य विपक्षी दलों के गठबंधन के बीच उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा आसान नहीं होगा। मायावती ने सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही गठबंधन की बात कहकर सपा व कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया है। सपा-बसपा के बीच कैराना उपचुनाव के बाद सीटों के बंटवारे पर बातचीत की संभावना है।
2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में करारे झटके लगने के बाद सपा-बसपा ने प्रदेश में गठबंधन करने का फैसला किया है। इसकी शुरुआत गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनावों से हुई थी। दोनों सीटों पर सपा की जीत के बाद अखिलेश यादव बसपा के समर्थन के लिए मायावती का आभार जताने उनके आवास पर गए थे। इसी के बाद गठबंधन की राह आगे बढ़ी।
कैराना व नूरपुर उपचुनाव भी विपक्षी दल गठबंधन करके लड़ रहे हैं। सपा-बसपा के साथ गठबंधन में कांग्रेस व रालोद के शामिल होने की अटकलों के बीच शनिवार को बसपा के सम्मेलन में मायावती ने साफ कर दिया है कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही वह समझौता करेंगी।
उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का विकल्प खुला रखा हुआ है। उनके इस रुख को विपक्षी दलों, खास तौर से सपा के लिए संदेश माना जा रहा है कि बसपा जूनियर पार्टनर के रूप में गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। एक तरह से मायावती ने सपा ही नहीं, कांग्रेस पर भी गठबंधन के लिए सम्मानजनक सीटों के लिए दबाव बढ़ा दिया है। प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं। 2014 में सहयोगी अपना दल के दो समेत भाजपा के 73 सांसद विजयी हुए थे। कांग्रेस को दो व सपा को पांच सीटों पर सफलता मिली थी।
सपा चाहती है कि बसपा से हर हाल में गठबंधन हो। दूसरे दलों को भी इसका हिस्सा बनाने से सपा को परहेज नहीं है। गोरखपुर व फूलपुर में जीत के बाद सपा ने राज्यसभा की एक सीट पर बसपा के डॉ. भीमराव अंबेडकर का समर्थन किया, हालांकि वह चुनाव नहीं जीत पाए। इसके बदले सपा ने विधान परिषद चुनाव की दो में से एक सीट बसपा को दी।
कर्नाटक में सीएम एचडी कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में भी अखिलेश यादव और मायावती के बीच बातचीत हुई है। सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि गठबंधन वक्त की जरूरत है। सपा समान विचार वाले दलों के साथ गठबंधन की पक्षधर है। सपा-बसपा दोस्ती से इसकी पहल हो चुकी है। कैराना व नूरपुर उपचुनाव भी गठबंधन बनाकर लड़े जा रहे हैं।
रविवार को एक सवाल के जवाब में अखिलेश यादव भी कह चुके हैं कि बसपा के साथ उनके दल का गठबंधन होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि समाजवादी सभी को सम्मान देना जानते हैं। यानी, उन्होंने संकेत दिया कि बसपा सुप्रीमो मायावती के सम्मान का ध्यान रखा जाएगा।
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