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उत्तर प्रदेश

'मुलायम की नहीं सुनते हैं अखिलेश'

मुलायम की नहीं सुनते हैं अखिलेश
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आगरा: पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जीवनीकार और पर्यावरणविद, राजनीतिक चिन्तक डॉ. केएस राना ने सैफई परिवार में बढ़ती रार का सटीक विश्लेषण किया है। उनका कहना है कि सब सत्ता पर काबिज होने का खेल चल रहा है। सबकी नजर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 पर लगी हुई है। यह राजनीतिक महत्वाकांक्षा का विवाद है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लम्बे समय से अपने पिता मुलायम सिंह यादव की भी नहीं सुन रहे थे। इसी कारण उन्होंने अखिलेश यादव से सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद छीन लिया। मुलायम सिंह के लिए संगठन सर्वोपरि होता है।

डॉ. राना ने बताया कि मुलायम सिंह यादव आज जो कुछ भी हैं, वह संघर्ष के बूते हैं। उनकी खूबी यह भी कि वे अपने पुराने साथियों को भूलते नहीं हैं। उनकी मदद किसी भी स्तर तक जाकर करते हैं। गलतियों को भी माफ कर देते हैं। उनकी यही खूबी उन्हें लोकप्रिय बनाए हुए है। जो संघर्ष के बल पर आगे बढ़ता है, वह कभी थकता नहीं और कभी हारता नहीं है। इस संकट से भी उबर जाएंगे। उन्होंने एक निजी वृतांत पंजाब केसरी के साथ शेयर किया।

उन्होंने बताया- दिसम्बर, 2015 में दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मिला था। मैंने प्रस्ताव रखा कि सरकार के जो नियम-कानून हैं, उनके तहत सेमी गवर्नमेंट विश्वविद्यालय की अनुमति दिलाएं। डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा ने तो छात्रों का विनाश कर रखा है। मैं सरकार को अपनी सारी संपत्ति और सभी कॉलेज सौंपने को तैयार हूं। इस पर मुलायम सिंह ने कहा कि क्या बताऊं, अखिलेश मेरी सुनता नहीं है। मुलायम सिंह की यही दर्द है, जो अब बाहर आ गया है। यही दर्द समाजवादी पार्टी में टूट का कारण बन सकता है।

उन्होंने बताया कि मुलायम सिंह ने इसी दर्द की वजह से अखिलेश से संगठन की कमान छीन ली है। मुलायम सिंह के लिए शिवपाल सिंह यादव हनुमान की तरह हैं। जैसा कि सब जानते हैं कि समाजवादी पार्टी में ऐसे लोगों की फौज अधिक है, जिन्हें शिवपाल यादव अच्छे लगते हैं। इस सबके बीच रामगोपाल यादव ने अखिलेश यादव का साथ दिया। गायत्री प्रजापति भी मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के बीच विवाद का बड़ा कारण हैं। गायत्री प्रजापति को हटाकर अखिलेश यादव ने यह संदेश दिया कि वे साफ-सुथरे हैं। मुलायम सिंह को गायत्री प्रजापति अतिप्रिय हैं। इसी कारण उनकी मंत्रिमंडल में वापसी कराने में सफल हो गए, लेकिन अखिलेश ने गायत्री को खनन विभाग का मंत्री नहीं बनाया। यह भी मुलायम सिंह की नाराजगी का बड़ा कारण बना है।

डॉ. राना बताते हैं कि इन सब प्रकरणों से मुलायम सिंह यादव को लगा कि अगर सत्ता और संगठन दोनों की चाबी अखिलेश यादव के पास रही तो उनके हाथ में कुछ नहीं रहेगा। इसी कारण उन्होंने शिवपाल सिंह को सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर संकेत दिया कि अखिलेश यादव ही सबकुछ नहीं हैं। मुलायम सिंह के लिए शिवपाल सिंह अधिक विश्वसनीय हैं।
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