जानिए कौन हैं जय गुरुदेव, आखिर क्यों हैं इनके करोड़ो भक्त
उत्तर प्रदेश के विख्यात धर्म गुरु जय गुरुदेव की जयंती पर वाराणसी में हुई भगदड़ में 19 लोगों की मौत हुई है जबकि दर्जनों लोग घायल है। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। एक अनुमान के मुताबिक जय गुरुदेव के दुनिया भर में 2 करोड़ से ज्यादा अनुनायी है। ये लोग जय गुरुदेव पंथ को मानने वाले हैं। इनका नारा है, "जयगुरुदेव, सतयुग आएगा'। आपको बता दें कि जून महीने में हुई मथुरा हिंसा का आरोपी रामवृक्ष यादव भी जय गुरुदेव का ही अनुनायी था।
बाबा की मृत्यु को चार बरस बीत चुके हैं लेकिन आज भी उनकी याद में जगह-जगह हजारों लोग जमा होते हैं। शनिवार को चंदौली जिले में डोमरी गांव में जय गुरुदेव की याद में आयोजित दो दिवसीय जागरूकता शिविर में आए बड़ी संख्या में श्रद्धालु वाराणसी स्थित पीली कोठी से होते हुए डोमरी गांव जा रहे थे। रास्ते में राजघाट पुल पर अचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में घायल कई लोगों की स्थिति नाजुक बनी हुई है।
इटावा में जन्मे बाबा
बाबा की सही जन्मतिथि किसी को मालूम नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि 100 साल पहले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में इनका जन्म हुआ। बचपन में लोग उन्हें तुलसीदास के नाम से बुलाते थे। गुरु के महत्व को सर्वोपरि रखने वाले और जय गुरुदेव का उद्घोष करने वाले बाबा जय गुरुदेव इसी नाम से प्रसिद्ध हो गए। आजादी के बाद से ही जय गुरुदेव अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए।
उनके गुरु श्री घूरेलाल जी थे जो अलीगढ़ के चिरौली ग्राम (इगलास तहसील) के निवासी थे। उन्हीं के पास बाबा वर्षों रहे। उनके गुरु जी ने उनसे मथुरा में किसी एकांत स्थान पर अपना आश्रम बनाकर ग़रीबों की सेवा करने के लिए कहा था। गुरु जी की मृत्यु (1948) के बाद उन्होंने अपने गुरु स्थान चिरौली के नाम पर सन् 1953 में मथुरा के कृष्णा नगर में चिरौली संत आश्रम की स्थापना करके अपने मिशन की शुरुआत की।
150 एकड़ में फैला हुआ जयगुरुदेव आश्रम
बाबा जय गुरुदेव ने सन् 1962 में मथुरा में ही आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित मधुवन क्षेत्र में डेढ़ सौ एकड़ भूमि ख़रीदकर अपने मिशन को और अधिक विस्तार दिया। जय गुरुदेव आश्रम की लगभग डेढ़ सौ एकड़ भूमि पर संत बाबा जय गुरुदेव की एक अलग ही दुनिया बसी है। उनके अनुनानियों में हर वर्ग के लोग शामिल हैं। उनके अनुनायी जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था एवं जय गुरुदेव धर्म प्रचारक ट्रस्ट चला रहे हैं, जिनके तहत तमाम लोक कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं।
4000 करोड़ रुपये की संपत्ति
बाबा जय गुरुदेव का 18 मई 2012 की रात मथुरा में निधन हुआ। एक अनुमान के मुताबिक उनके पास करीब 4000 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। उनके पास 100 करोड़ रुपए नगद और 150 करोड़ की 250 लग्जरी गाड़िया थीं। हालांकि बाबा जय गुरुदेव आध्यात्मिक साधना, शराब निषेध, शाकाहार, दहेज रहित सामूहिक विवाह, वृक्षारोपण, नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क चिकित्सा आदि पर विशेष बल देते थे।
29 साल में बनाया अपने गुरु का अनोखा मंदिर
जयगुरुदेव ने अपने आश्रम में अपने श्री घूरेलाल जी याद में 160 फुट ऊंचे नाम योग साधना मंदिर का निर्माण कराया हुआ है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर ताजमहल जैसा प्रतीत होता है। इस मंदिर की डिजाइन में मंदिर-मस्जिद का मिला-जुला रूप है। इस मंदिर का निर्माण 1973 में शुरू हुआ और यह 2002 में बनकर तैयार हुआ। अब जय गुरुदेव के अनुनायी भी इसी जगह उनकी याद में अनूठा मंदिर बना रहे हैं।
इन सब के अलावा बाबा जय गुरुदेव राजनीति से भी दूर नहीं रहे हैं। खुद को सुभाष चंद्र बोस का अनुनायी बताने वाले जय गुरुदेव आपातकाल में जेल भी जा चुके हैं और राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में कूद चुके हैं।