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उत्तर प्रदेश

रामपुर के इस गांव में नागिन ले रही है बदला! अब तक 52 को डंसा, तीन की मौत

रामपुर के इस गांव में नागिन ले रही है बदला! अब तक 52 को डंसा, तीन की मौत
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रामपुर जिले में एक नागिन की कहर से ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है. दरअसल जिले के मिलक थाना क्षेत्र के परम गांव में एक नागिन महीने भर में करीब 52 से अधिक लोगों को डंसा है. जिनमें से तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है.

एक खास गांव को तकरीबन रोजाना निशाना बना रही इस नागिन से लोग खौफजदा हैं. अब तो ग्रामीण इसे नागिन का बदला और दैवीय प्रकोप मानकर झाड़-फूंक में जुट गए हैं.

रामपुर की तहसील मिलक के गांव परम के रहने वालों को रात-दिन, सोते-जागते, उठते-बैठते सांपों का खौफ परेशान किए हुए है. लोग अपने घरों में भी डरे सहमे हुए हैं और अपने रोजाना के काम को भी अंजाम नहीं दे पा रहे हैं. लोग इस नागिन की दहशत और खौफ को प्राकृतिक आपदा और दैवीय प्रकोप मान रहे हैं.

ऐसा मानना भी लाजमी है क्योंकि उनके गांव परम में कभी ऐसा नहीं हुआ कि एक महीने के अन्दर करीब पचास से अधिक लोग सर्पदंश का शिकार हुए हों. सर्पदंश से तीन लोगों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा हैं.

परम के रहने वाले नबी अहमद, संध्या और शमीमजहां को उनके गांव में ही सांप ने डस लिया. ग्रामीणों ने इनका इलाज भी करवाया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका.

गांव में चर्चा है कि एक माह पहले ट्रैक्टर से खेत जोतने के दौरान हल से एक नाग कट कर मर गया था, जिसके बाद से यह घटनाएं शुरू हो गईं. हालांकि लोग अब इस बात को बताने से भी डर रहे हैं. आलम यह है कि खौफजदा ग्रामीण अब तो हाथों में डंडे लेकर उस नागिन की खोज में लगे हुए हैं. गांव के लोग अपने घर में कोने-कोने की साफ सफाई में लगे हैं.

इसके बावजूद नागिन लोगों को अपना शिकार बनाने से नहीं चूक रही. एक दिन में कई-कई लोगों को वह काट रही है. पूरा गांव नागिन की तलाश में है. इसी चक्कर में गांव के लेागों ने कई अन्य सांपों को भी मार डाला है. लेकिन असली नागिन कहीं हाथ नहीं आ रही है.

इस बीच पड़ोस के गांव पिपलिया में शिवजी का मंदिर है, जहां रात दिन लोगों का हुजूम लगा है. यहां सर्पदंश के शिकार लोगों को लाया जा रहा है. यहां एक महंत बाबा उनका इलाज कर रहे हैं.

प्रशासनिक मदद के नाम पर वन विभाग ने गांव में जाकर स्थिति का जायजा लिया, लेकिन सांप को पकड़ने का कोई मास्टर प्लान तैयार नहीं किया. हद तो तब हो गई जब वन विभाग भी इसे दैवीय प्रकोप मानते हुए ग्रामीणों को हवन या जागरण कराने की सलाह देने लगा.

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