हाफिज सईद, अजहर मसूद और सैयद सलाउद्दीन को सबक सिखाने की तैयारी

सर्जिकल स्ट्राइक से पाक आतंकियों को सबक सिखाने के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति पाक में बैठे आतंक के आकाओं के होश ठिकाने लगाने की है। सूत्रों की मानें तो सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर फिलहाल दाऊद इब्राहिम नहीं बल्कि आतंक के आका के रूप में पहचान रखने वाले जमात- उद- दावा के मुखिया हाफिज सईद, जैश- ए- मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर और हिजबुल मुजाहीद्दिन के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन को निशाना बनाने की है।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पाक की नींद सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से उड़ी हुई है। उनकी परेशानी का सबब भारतीय सेना के जरिए हुई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं है। बल्कि हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैयद सलाउद्दीन की सुरक्षा उनके लिए चुनौती बनी हुई है। जिस तरीके से भारतीय जांबाजों ने सर्जिकल ऑपरेशन को अंजाम दिया है, उससे पाक हुक्मरानों को लगता है कि भारत उनके यहां रह रहे आतंकी आकाओं को कभी भी निशाना बना सकता है। यही वजह है कि पाक की कोशिश भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति को समझने की है। मगर इस मामले में उसे सफलता अब तक नहीं लगी है।
अब कहां भागकर जाएंगे आतंकी आका?
बताया जा रहा है कि सेना की ओर से ही सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक सार्वजनिक न करने की नसीहत दी गई है। यदि पाक की ओर से फिर कोई नापाक कोशिश हुई तो अपने अचूक रणनीति के जरिए भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के आगे भी ऑरेशन को खुले रखे हैं।
दाऊद के बजाय हाफिज सईद, मसूद अजहर और सैयद सलाउद्दीन को निशाना बनाने के पीछे तर्क है कि हाफिज सईद की पहचान दुनिया में आतंकी नेता के रूप में है। भारत में हो रही आतंकी घटनाओं के पीछे उसी का हाथ सबसे ज्यादा है। इसलिए वह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर सबसे ज्यादा है। तो मसूद अजहर को निशाना बनाकर मोदी सरकार अपने ऊपर लगे दाग को छुड़ाना चाहती है।
भाजपा पर यह सियासी आरोप लगता है कि अटल सरकार के दौरान संसद हमले के दोषी को कंधार ले जाकर छोड़ा गया। और सैयद सलाउद्दीन को बुरहान वानी का गुरू माना जाता है। बुरहान वानी की मौत के बाद से ही कश्मीर के हालात दोबारा बिगड़े हैं। जिसके बाद पाकिस्तान ने भी दुस्सवारी का साहस दिखाया। विश्व में आतंक के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए केंद्र सरकार की रणनीति पाक में बैठे आतंक के आकाओं को सबक सिखाने की है।
सर्जिकल स्ट्राइक को उसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। जिस तरह से विश्व के देशों का भारत को समर्थन मिला है और आतंक के मामले पर पाक अलग-थलग है। इस माहौल का लाभ उठाते हुए सरकार की रणनीति पाक में बैठे आतंक के आकाओं से पुराना हिसाब चुकता करने की है।