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उत्तर प्रदेश

हाईकोर्ट का समाजवादी स्मार्टफोन योजना पर रोक से इन्कार

हाईकोर्ट का समाजवादी स्मार्टफोन योजना पर रोक से इन्कार
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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए समाजवादी स्मार्टफोन योजना को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अजमल खान की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर कहा गया था कि यह योजना मतदाताओं को लुभाने के लिए है जो स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव में बाधक है। याचिका में सूचना व जनसंपर्क विभाग की ओर से पांच सितंबर को जारी अधिसूचना को भी खारिज किये जाने की मांग की गई थी जिसमें समाजवादी स्मार्टफोन योजना को शीघ्र शुरू करने की बात कही गई है।

न्यायमूर्ति एसएन शुक्ला व न्यायमूर्ति अनंत कुमार की खंडपीठ ने अपने फैसले में एस सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु राज्य व अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का उधारण देते हुए याचिका को खारिज करने का आदेश दिया। यह मामला राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों में मुफ्त उपहार बांटने के जिक्र से संबंधित था। वर्ष 2006 में तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनावों में डीएमके ने सभी घरों में रंगीन टेलीविजन बांटने का एलान किया था।

शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपने फैसले में कहा था कि आजीविका और जीवनस्तर का स्वरूप समय के साथ बदलता रहता है। एक समय जिन्हें विलासिता की वस्तु माना जाता था, वह आज सामान्य जीवन में आवश्यक हो चुकी हैं। अब जीवन रोटी, कपड़ा और मकान तक ही सीमित नहीं है। शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया कि हम अपील करने वाले की इससे सहमत नहीं हैं कि रंगीन टीवी, मिक्सर ग्राइंडर या लैपटॉप आदि राज्य सरकार द्वारा बांटना लोक प्रयोजन नहीं है।

न्यायिक हस्तक्षेप तब हो सकता है जबकि राज्य सरकार का कार्य असंवैधानिक हो। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि हमारे विचार से इस प्रकार के प्रश्न विधानसभा में बहस के जरिये तय होने चाहिए। शीर्ष अदालत के उस फैसले का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि याची ऐसा कोई भी प्रावधान प्रस्तुत करने में असफल रहा है जो ऐसी घोषणा को प्रतिबंधित करता हो। हालांकि न्यायालय ने कहा कि याची चाहे तो स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के लिए अपने सुझाव दे सकता है।
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