पूर्व जस्टिस बोले- ये जज और नेताओं का नहीं, जनता का पैसा
BY Suryakant Pathak4 Oct 2016 8:46 AM GMT
![पूर्व जस्टिस बोले- ये जज और नेताओं का नहीं, जनता का पैसा पूर्व जस्टिस बोले- ये जज और नेताओं का नहीं, जनता का पैसा](https://www.jantakiawaz.org/h-upload/uid/null9gVP7FhBdEB3fwijSuooqPvrxnFACOnf1519271.jpg)
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Suryakant Pathak4 Oct 2016 8:46 AM GMT
लखनऊ.अखिलेश यादव मंगलवार को गोमतीनगर स्थित नए हाईकोर्ट पहुंचे। उन्होंने यहां ध्वजारोहण के प्रोग्राम में शिरकत की। ध्वजारोहण्ा के बाद फुल कोर्ट रिफ्रेंस में चीफ जस्टिस ने अपनी बात रखी। 10.45 से हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग में काम शुरू हो गया। बता दें, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की सुनवाई अब नई बिल्डिंग में होगी।
राज्यपाल और सीएम के मूवमेंट की वजह से बिल्डिंग में आम लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। ऐसे में एक पूर्व जस्टिस ने सुरक्षाकर्मियों को जममर लताड़ लगाई और ये सब राज्यपाल और सीएम के रहते हुआ। बिल्डिंग के अंदर कुछ खास लोगों को ही इंट्री दी गई थी। ऐसे में जब पूर्व जस्टिस सीबी पांडेय अंदर जाने लगे तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। इस पर सीबी पांडेय को गुस्सा आ गया और उन्होंने तेज आवाज में कहा कि ये कैसी बदतमीजी है कि जिन लोगों के लिए बनाया गया है, उन्हीं लोगों को नहीं जाने दिया जा रहा। उन्होंने चीफ जस्टिस पर गुस्साते हुए कहा कि ये जज और नेताओं का पैसा नहीं है, जो लोगों को अंदर नहीं आने दिया जा रहा। उन्होंने आगे कहा अभी भी लोग गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं। बिना डांट के समझते ही नहीं। डांटने पर ही बात समझ में आती है।
इस घटना के बाद सुरक्षाकर्मियों ने सबको अंदर जाने दिया।
इस घटना के बाद सुरक्षाकर्मियों ने सबको अंदर जाने दिया।
सीएम और राज्यपाल ने किया महात्मा गांधी की प्रतिमा का लोकार्पण
- इसके पहले सीएम अखिलेश यादव और राज्यपाल रामनाइक ने हाइकोर्ट में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
- इसके बाद राज्यपाल सीएम के साथ हाईकोर्ट के खुले परिसर में पहुंचे। जहां पर राज्यपाल ने ध्वजारोहण किया।
- इसके बाद राज्यपाल और सीएम ने वकीलों का अभिवादन किया।
- वकीलों ने भी सीएम को नए हाईकोर्ट के लिए धन्यवाद दिया।
- इसके पहले सीएम अखिलेश यादव और राज्यपाल रामनाइक ने हाइकोर्ट में लगी महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
- इसके बाद राज्यपाल सीएम के साथ हाईकोर्ट के खुले परिसर में पहुंचे। जहां पर राज्यपाल ने ध्वजारोहण किया।
- इसके बाद राज्यपाल और सीएम ने वकीलों का अभिवादन किया।
- वकीलों ने भी सीएम को नए हाईकोर्ट के लिए धन्यवाद दिया।
वकील ढूंढते रहे कमरे
- पहले दिन वकीलों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
- वकीलों को अपना कमरा और कोर्ट ही नहीं मिल रहा था।
- ऐसे में वकील कोर्ट परिसर में भटकते रहे।
- कुछ लोगों का कहना था कि कोर्ट बहुत बड़ा है, ऐसे में करीब 4-5 दिन तो समझने में ही लग जाएंगे।
- पहले दिन वकीलों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
- वकीलों को अपना कमरा और कोर्ट ही नहीं मिल रहा था।
- ऐसे में वकील कोर्ट परिसर में भटकते रहे।
- कुछ लोगों का कहना था कि कोर्ट बहुत बड़ा है, ऐसे में करीब 4-5 दिन तो समझने में ही लग जाएंगे।
जानें हाईकोर्ट के इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स
- 2012 में शुरु हुई बिल्डिंग को बनाने में 1300 करोड़ रुपए खर्च हुए। शुरुआती बजट 700 करोड़ था। इसे बनने में तीन साल लगे।
- जजों को तनाव से बचाने के लिए फिजियोथैरेपी सेंटर की भी व्यवस्था परिसर में ही की गई है।
- बिल्डिंग की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे जिस तरफ से देखा जाएगा उसी तरफ बिल्डिंग का फ्रंट दिखाई देगा। इसके किसी भी साइड में जाने पर लोगों को ये नहीं लगेगा कि वे बिल्डिंग के पीछे की तरफ आ गए हैं।
- कोर्ट रूम में ज्यादातर लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट रूम को उसी तरह से बनाया गया है, जिस तरह लोग टीवी में देखते आए हैं। कोर्ट रूम का लुक पुराना है, लेकिन इंटीरियर मॉडर्न पैटर्न पर बनाया गया है।
- बिल्डिंग की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे जिस तरफ से देखा जाएगा उसी तरफ बिल्डिंग का फ्रंट दिखाई देगा। इसके किसी भी साइड में जाने पर लोगों को ये नहीं लगेगा कि वे बिल्डिंग के पीछे की तरफ आ गए हैं।
- कोर्ट रूम में ज्यादातर लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट रूम को उसी तरह से बनाया गया है, जिस तरह लोग टीवी में देखते आए हैं। कोर्ट रूम का लुक पुराना है, लेकिन इंटीरियर मॉडर्न पैटर्न पर बनाया गया है।
जिम, बैंक और रिजर्वेशन काउंटर जैसी सुविधाएं भी
- कोर्ट परिसर में अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं वाला जिम भी बनाया गया है। साथ ही कोर्ट की लाइब्रेरी में करीब एक लाख किताबें होंगी। पूरा परिसर वाईफाई से लैस होगा।
- कोर्ट परिसर में तीन हजार कारों के पार्किंग की व्यवस्था है। जज, वकील और पब्लिक तीनों के लिए अलग-अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
- बिल्डिंग को बाहर से देखने पर संसद भवन जैसा लुक दिखता था, इसालिए चीफ इंजीनियर का कहना है कि इसकी डिजाइन में किसी को कॉपी नहीं किया गया है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि यह ट्रेडिश्नल तो हो लेकिन कॉपी न हो।
- कोर्ट में इस तरह से रास्ते बनाए गए हैं कि जज और वकीलों का आमना-सामना न हो। जज के मूवमेंट के लिए बने रास्ते पर कहीं भी पब्लिक रूट को क्रॉस नहीं करते। जज बिना पब्लिक को दिखे कोर्ट रूम में दाखिल हो सकते हैं।
- बैंक, रिजर्वेशन काउंटर, डिस्पेंसरी, पोस्ट ऑफिस, पुलिस स्टेशन, फॉयर ब्रिगेड जैसी सुविधाएं बिल्डिंग के अंदर ही होंगी।
- ग्राउंड फ्लोर में रजिस्ट्रार ऑफिस के साथ कोर्ट के दूसरे ऑफिस होंगे।
- कोर्ट परिसर में तीन हजार कारों के पार्किंग की व्यवस्था है। जज, वकील और पब्लिक तीनों के लिए अलग-अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
- बिल्डिंग को बाहर से देखने पर संसद भवन जैसा लुक दिखता था, इसालिए चीफ इंजीनियर का कहना है कि इसकी डिजाइन में किसी को कॉपी नहीं किया गया है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि यह ट्रेडिश्नल तो हो लेकिन कॉपी न हो।
- कोर्ट में इस तरह से रास्ते बनाए गए हैं कि जज और वकीलों का आमना-सामना न हो। जज के मूवमेंट के लिए बने रास्ते पर कहीं भी पब्लिक रूट को क्रॉस नहीं करते। जज बिना पब्लिक को दिखे कोर्ट रूम में दाखिल हो सकते हैं।
- बैंक, रिजर्वेशन काउंटर, डिस्पेंसरी, पोस्ट ऑफिस, पुलिस स्टेशन, फॉयर ब्रिगेड जैसी सुविधाएं बिल्डिंग के अंदर ही होंगी।
- ग्राउंड फ्लोर में रजिस्ट्रार ऑफिस के साथ कोर्ट के दूसरे ऑफिस होंगे।
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