विभाग बंटवारे में दिखी अखिलेश की मर्जी
BY Suryakant Pathak2 Oct 2016 3:12 AM GMT

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Suryakant Pathak2 Oct 2016 3:12 AM GMT
लखनऊ : समाजवादी परिवार की सियासी कूटनीति में कभी कमजोर तो कभी मजबूत दिखने वाले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मंत्रियों के विभाग बंटवारे में अपनी मर्जी की करते दिखायी दे रहे हैं।
विधानसभा चुनाव की आहट के दौर में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 26 सितंबर को अपने मंत्रिमंडल का आठवां विस्तार किया था जिसमें बर्खास्त मनोज पांडेय, गायत्री प्रजापति, शिवाकांत ओझा की वापसी हो गई। छह मंत्रियों को प्रोन्नति मिली गयी। 27 जून को मंत्री घोषित जियाउद्दीन को भी शपथ दिलाई गई। विस्तार को क्षेत्रीय-जातीय संतुलन साधने का प्रयास ठहराया गया। हालांकि बुंदेलखंड नुमाइंदगी विहीन रहा। अलबत्ता लखनऊ व बलिया के हिस्से में तीन-तीन मंत्री आ गए थे। राजनीतिक विश्लेषकों ने आठवें विस्तार को सपा मुखिया का माना था। शनिवार को विभाग बंटवारे में मुख्यमंत्री ने जिस तरह से कर एवं निबंधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, गन्ना-चीनी जैसे विभाग खुद से हटाकर उन मंत्रियों को सौंपे जिन्हें उन्ही का करीबी कहा जाता है। इतना ही नहीं अपने चाचा व मंत्री शिवपाल यादव से समाज कल्याण व लघु सिंचाई वापस लेकर क्रमश: शंखलाल माझी और महबूब अली को सौंपा है। दोनों मंत्रियों को शिवपाल के करीबियों में शुमार किया जाता है। सपा मुखिया के कोटे के समङो जाने वालेरियाज अहमद को मत्स्य एवं सार्वजनिक उपक्रम व मनोज पाण्डेय को इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग आवंटित कर मुख्यमंत्री ने राजकाज बंटवारे में अपनी मर्जी चलाने का स्पष्ट संदेश दिया है। खनन मंत्री के पद से बर्खास्त किए गए गायत्री प्रजापति को फिर मंत्री बनाने में भले ही मुख्यमंत्री की मर्जी न चली हो लेकिन गायत्री को पुराना विभाग न मिलने से साफ है कि बंटवारे में मुख्यमंत्री ने अपनी ही की। विस्तार, कार्य बंटवारे की पूष्ठभूमि पर नजर दौड़ाएं तो सिरा गायत्री व राजकिशोर की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी से जुड़ता है। 12 सितंबर को मुख्यमंत्री ने अचानक दोनों को बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त मंत्रियों ने सपा मुखिया के ड्योढ़ी पर कुछ इस अंदाज में तर्क दिया कि ठीकरा तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक सिंघल पर फूट गया। इसी कड़ी में एक बाद एक फैसले हुए, अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल यादव को कमान सौंपी गयी तो मुख्यमंत्री ने शिवपाल के अहम विभाग छीन लिये। परिवार के संग्राम पर मुलायम फामरूले से विराम लगा मगर सब कुछ थमने के स्थान पर विरोध का तरीका बदल गया। अब एक अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने जब विभागों का बंटवारा किया तो खुद के साथ शिवपाल के विभाग कम कर खुद फैसले करने और उसको तरजीह देने का संदेश दिया है।
स्वास्थ्य विभाग में अब दो मंत्री
समाजवादी सरकार में यह पहला मौका है कि जब स्वास्थ्य विभाग को हो हिस्सों में बांटकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण एवं मातृ शिशु कल्याण विभाग के लिए अलग-अलग मंत्री नियुक्त किये गये हैं। अखिलेश यादव नेसत्ता संभालने पर अहमद हसन को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सौंपा था। फरवरी 2015 में हुए फेरबदल में मुख्यमंत्री ने यह विभाग अपने पास रख लिया। 27 जून के सातवें विस्तार में रविदास मेहरोत्र को स्वतंत्र प्रभार का मंत्री नियुक्त कर उन्हें परिवार कल्याण एवं मातृ शिशु विभाग दिया गया था। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा था। अब यह विभाग शिवाकांत ओझा को दिया गया है जबकि रविदास भी प्रोन्नत होकर मंत्री हो गए हैं। जिससे विभाग में दो मंत्री हो गये हैं ।
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