वापस जेल पहुंचे शहाबुद्दीन, कहा-मुख्यमंत्री को 'सबक सिखाया जाएगा'

सीवान : हत्या के एक मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा जमानत रद्द किये जाने के बाद राजद के विवादित नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन शुक्रवार को 20 दिन बाद वापस सलाखों के पीछे पहुंच गये। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके समर्थक ''उन्हें सबक सिखाएंगे।' शीर्ष अदालत के आदेश के कुछ घंटों बाद शहाबुद्दीन ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी संदीप कुमार की अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया। उनका चेहरा ढका था क्योंकि वे हेलमेट पहनकर एक मोटरसाइकिल पर पीछे बैठकर अदालत पहुंचे।
शहाबुद्दीन 11 साल जेल में रहने के बाद 10 सितंबर को जेल से बाहर निकले थे।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी माने जाने वाले शहाबुद्दीन ने अदालत परिसर में अपने समर्थकों की तालियों के बीच कहा, 'मेरे समर्थक अगले चुनाव में उन्हें (कुमार) सबक सिखाएंगे।' उन्होंने अदालत में पेश होने से पहले संवाददाताओं से कहा, 'मैं उस सच के साथ खड़ा हूं जो मैंने उनके बारे में कहा था (परिस्थितियों के मुख्यमंत्री) मुझे आज सच बोलने में कोई दिक्कत नहीं है।'
सीवान के चंदा बाबू के तीन बेटों राजीव, गिरीश और सतीश की हत्या हुई है। उनके बड़े बेटे राजीव अपने दोनों भाइयों की हत्या के मामले में मुख्य गवाह थे। बाद में राजीव की भी हत्या हो गई। राजीव की हत्या मामले में शहाबुद्दीन भी आरोपी हैं। शहाबुद्दीन 2005 से ही जेल में हैं। निचली अदालत में कार्रवाई में होती देरी के चलते हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार को जमकर लताड़ लगाई थी। न्यायालय के सख्त रुख का सामना कर रही बिहार सरकार से सवाल किया था कि राजीव रोशन हत्याकांड के 17 महीने बाद भी शहाबुद्दीन को आरोप-पत्र की प्रति क्यों नहीं मुहैया कराई गई।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील को कड़ी फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कराने के लिए अब इतना उतावलापन क्यों दिखाया जा रहा है। जस्टिस पी सी घोष और जस्टिस अमित्व रॉय की खंडपीठ ने यह भी पूछा कि जब पटना हाईकोर्ट में मामला था तब आप कहां थे? जज ने टिप्पणी की कि अभी वो बेल पर स्टे ऑर्डर नहीं दे सकते। चंद्रकेश्वर प्रसाद की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने भी जब कोर्ट से अनुरोध किया था कि शहाबुद्दीन के बेल पर तुरंत रोक लगे। इसपर तब कोर्ट ने कहा था, "हमलोगों ने केस के तथ्यों को देखा है और अभी इस पर हम कोई स्थगनादेश नहीं दे सकते।"