गोरखपुर यूनिवर्सिटी में हो रहा फर्जीवाड़ा उजागर
BY Suryakant Pathak30 Sep 2016 9:48 AM GMT

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Suryakant Pathak30 Sep 2016 9:48 AM GMT
गोरखपुर। एक शिक्षक अनेक कालेज का प्रकरण का अभी निस्तारण भी नहीं हुआ कि सबूत के साथ गोरखपुर विवि और संबद्ध कालेज का फर्जीवाड़ा प्रकाश में आ गया।कागजों में हो रही शिक्षकों की नियुक्ति का धंधा किसी से छुपा नहीं हैं। उच्च शिक्षा की दुर्गति में अनुमोदन के खेल ने काफी इजाफा किया हैं। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय भी इस खेल में शामिल हैं। प्व्यक्ति नौकरी करने का इच्छुक नहीं हैं फिर भी महाविद्यालय प्रशासन ने प्रवक्ता नियुक्ति कर दिया और गोविवि प्रशासन ने अनुमोदन भी कर दिया। हद तो यह हो गयी हो कि प्रवक्ता अनुमोदन निरस्त करने के लिए राज्यपाल, गोविवि के कुलपति व कुलसचिव से गुहार लगा कर थक गया लेकिन अनुमोदन रोकने के बजाए जबरदस्ती कार्यभार ग्रहण करने की धमकी दी जा रही।
मामला गोविवि से संबद्ध बाबू रामनरेश सिंह मेमोरियल डिग्री कालेज बरहीं गोरखपुर का हैं।
खलीलाबाद संतकबीर नगर निवासी अनुराग कुमार त्रिपाठी पुत्र जय प्रकाश त्रिपाठी को उक्त डिग्री कालेज ने समाजशास्त्र प्रवक्ता पद पर अनुमोदन कार्य के लिए 18 जुलाई को गोविवि में उपस्थित होने के लिए एक पत्र लिखा। अनुराग नियत समय पर साक्षात्कार के लिए उपस्थित हुए, लेकिन डिग्री कालेज की वस्तुस्थिति का ज्ञान होने और अतिरिक्त शर्तों से भयाक्रांत होकर पढ़ाने से इंकार कर दिया। इसके बावजूद भी महाविद्यालय द्वारा समस्त शैक्षिक प्रमाण पत्र की छाया प्रति एवं पहचान पत्र की छाया प्रति गोविवि प्रेषित कर दी गई। जब यह बात अनुराग को पता चली तो उन्होंने 1 अगस्त को गोविवि के कुलपति कार्यालय व कुलसचिव से मुलाकात कर प्रार्थाना पत्र दिया कि अनुमोदन स्वीकृत ना किया जायें। प्रार्थाना पत्र रिसीव भी करवाया। इसके अलावा प्रार्थाना पत्र में कहा कि अगर विवि प्रशासन ने अनुमोदन स्वीकार कर लिया हैं तो तत्काल प्रभाव से उसे निरस्त कर दिया जायें और संबंधित माध्यम से जानकारी प्रदान की जायें।
इस सम्बन्ध में 4 अगस्त को प्रार्थाना पत्र उप्र के राज्यपाल को भी लिखा और फर्जीवाड़ा रोकने के दरखास्त की ।
लेकिन गोविवि प्रशासन ने सभी तथ्यों को नजरअंदाज कर दिया। कुलसचिव गोविवि ने पत्रांक सं.- सम्बद्धता/2016/1335 दिनांक 9 सितम्बर को अनुराग का प्रवक्ता समाज शास्त्र पद पर अनुमोदन स्वीकार कर लिया।
अगर डिग्री कालेज प्रबंधन ने एक चूक ना की होती तो मामला नहीं खुलता। डिग्री कालेज प्रबंधन ने 19 सितम्बर को अनुराग को कार्यभार ग्रहण करने के लिए धमकी भरी चिट्ठी लिखी। तब जाकर मामला प्रकाश में आया। अनुराग एक बार फिर राज्यपाल और सीएम से फरियाद करेंगे।
यहां सवाल उठता हैं कि जब उमीदवार डिग्री कालेज में पढ़ाने को राजी नहीं हुए तो डिग्री कालेज ने अनुमोदन के लिए फाइल क्यों भेजी। वहीं गोविवि प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है। जब अनुराग ने अनुमोदन निरस्त करने के लिए गोविवि प्रशासन को सूचित कर दिया था तो अनुमोदन कैसे स्वीकार हुआ।
दरअसल अनुमोदन के नाम पर एक बहुत बड़ा खेल महाविद्यालय व गोविवि प्रशासन में चल रहा हैं। जांच होगी तो और भी मामले खुल सकते हैं, लेकिन शिक्षा माफियाओं और भ्रष्ट प्रशासन की वजह से खुलेआम मनमानी का खेल चल रहा है।
प्रभावित व्यक्ति ने इस पूरे प्रकरण से महामहिम कुलाधिपति,मुख्यमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री को भी अवगत कराने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।
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