सुरेश यादव हत्याकांड: राजा भैया समेत सभी मुल्जिमों को भारी राहत

कुंडा के सुरेश यादव हत्याकांड मामले में बतौर मुल्जिम तलब किए गए रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया समेत 15 अन्य मुल्जिमों को भारी राहत मिल गई है।
सत्र अदालत ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा पारित 17 सितंबर, 2015 के आदेश को निरस्त कर दिया है। विशेष अदालत ने अपने आदेश के तहत इस हत्याकांड मामले में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी समेत तत्कालीन एसओ हथिगंवा मनोज कुमार शुक्ला, कुंडा के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक सर्वेश कुमार मिश्रा व सीओ जियाउल हक के गनर रहे इमरान सिद्दकी को भी हत्या व हत्या का षडयंत्र रचने तथा सबूत मिटाने आदि का आरोपी बनाते हुए मुकदमे के विचारण के लिए तलब किया था।
साथ ही राजीव प्रताप सिंह, गुड्डू सिंह उर्फ संजय प्रताप सिहं, संजीव कुमार सिंह, जिवेंद्र पाल, नन्हें सिंह, कामता पाल, अजय पाल, विजय पाल, मुन्ना पाल व बुल्ले पाल को भी आईपीसी की इन्हीं गभीर धाराओं 120 बी, 302, 147, 148, 149 व 201 में जरिए सम्मन तीन अक्टूबर, 2015 को तलब किया था। इसके साथ ही विशेष अदालत ने सुरेश यादव हत्याकांड मामले में दाखिल सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। विशेष अदालत के इस आदेश को राजा भैया समेत सभी 15 मुल्जिमों व खुद सीबीआई ने भी रिवीजन दाखिल कर सत्र अदालत में चुनौती दी थी। सत्र अदालत में कुल नौ रिवीजन दाखिल किए गए थे।
विशेष जज संजय कुमार ने सभी रिवीजनों पर एक साथ आदेश पारित करते हुए 17 सितंबर, 2015 के विशेष अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया है। सीबीआई के विशेष वकील केपी सिंह के मुताबिक इसके साथ ही सत्र अदालत ने रिवीजन में पारित अपने आदेश के आलोक में विशेष अदालत को क्लोजर रिपोर्ट पर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
बताते चलें कि सुरेश यादव हत्याकांड मामले की जांच करते हुए सीबीआई ने विशेष अदालत के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था। जिसे चुनौती देते हुए इस मुकदमे के वादी पवन कुमार यादव ने 13 अक्टूबर, 2013 को अदालत में प्रोेटेस्ट अर्जी दाखिल किया था। जिस पर 15 सितंबर, 2014 को सीबीआई ने आपत्ति दाखिल किया। सीबीआई का कहना था कि मृतक सुरेश यादव सीओ जियाऊल हक को बंदूक की बट से मार रहा था। इस दौरान उसकी बंदूक से गोली चल गई, जो उसे ही जा लगी। जिसका सत्यापन पोस्टमार्टम व बैलेस्टिक रिपोर्ट तथा अन्य वैज्ञानिक तथ्यों से होता है।
मामला-
दो मार्च, 2013 को प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके में तीन हत्याएं हुई थी। बलीपुर के प्रधान नन्हें यादव, सुरेश यादव व कुंडा के सीओ जियाऊल हक की। सीओ जियाऊल हक की हत्या में दो एफआईआर दर्ज किए गए थे। एसओ मनोज कुमार शुक्ला के अलावा सीओ जियाऊल हक की पत्नी परवीन आजाद ने भी एक एफआईआर दर्ज कराई थी। अपनी एफआईआर में उन्होंने राजा भैया को मुल्जिम बनाया था। इन सभी मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। जांच के बाद सीबीआई ने नन्हें यादव व जियाउल हक हत्याकांड मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। लेकिन परवीन आजाद की एफआईआर पर जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया। जिसे चुनौती देते हुए परवीन आजाद ने प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल की। विशेष अदालत ने सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट को निरस्त कर दिया। साथ ही पुर्नविवेचना का भी आदेश दिया। इस आदेश को सीबीआई ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। जहां मामला अभी विचाराधीन है। इसके बाद सीबीआई ने सुरेश यादव हत्याकांड में भी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया। 17 सितंबर, 2015 को सीबीआई की विशेष अदालत ने इसे निरस्त करते हुए राजा भैया समेत सभी 15 मुल्जिमों को विचारण के लिए तलब किया।