पाकिस्तान का सबसे बड़ा दुश्मन है ये 'जेम्स बांड'

पाकिस्तानी सीमा में घुसकर भारतीय फौजियों की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की दुनियाभर में चर्चा हो रही है. ऐसे में हर भारतीय के जेहन में सवाल उठ रहा है कि भला इतने बड़े स्ट्राइक के लिए किसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तैयार किया और किसकी निगरानी में इसे सफल बनाया गया? तो जान लीजिए कि इस ऑपरेशन की प्लानिंग से लेकर इसे अंजाम तक पहुंचाने का पूरा खाका देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने तैयार किया था. आम भारतीयों के बीच 'जेम्स बांड' नाम से फेमस अजीत डोभाल ही वह शख्स हैं, जिनके सलाह पर पीएम मोदी ने पाकिस्तान को इस तरह का करारा जवाब देने को तैयार हुए. यहां तक की भारतीय कमांडो जब इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे रहे थे, तब अजित डोभाल खुद इसकी निगरानी कर रहे थे, वे पल-पल की खबर ले रहे थे.
आइए जानें कौन हैं अजीत डोभाल आईपीएएस अजीत डोभाल मूलरूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल स्थित घीड़ी बानेलस्यूं गांव के हैं. अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में एमए किया. इसके बाद 1968 में यूपीएससी की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर केरल कैडर से आईपीएस बने. 1972 में भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी से जुड़े. इस वजह से डोभाल के नाम से कांपता है पाक अजित डोभाल पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम कर चुके हैं. शुरुआती दिनों में वे अंडरकवर एजेंट थे और सात वर्ष तक पाकिस्तान में सक्रिय रहे. वे पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम की तरह रहे. भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका. इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी. पाकिस्तान के किसी भी इलाके में कुछ भी होता है तो वहां के सुरक्षा विशेषज्ञ और मीडिया अजीज डोभाल पर आरोप लगाने शुरू कर देते हैं. पाकिस्तान कोई धमाका होने पर वहां टि्वटर पर अजीत डोभाल ट्रेंड करने लगते हैं. दाऊद इब्राहिम को मारने की तैयारी में हैं डोभाल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल अंडरवर्ल्ड दाऊद इब्राहिम को भी खत्म करने का प्लान बना चुके हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दाऊद इब्राहिम लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा है. भारतीय खुफिया एजेंसियों को पता लगा है कि दाऊद का नया ठिकाना चमन में है. देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनॉलेसिस विंग यानी रॉ के एजेंट लगातार ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि दाऊद कितने दिन और कहां-कहां रुक रहा है. ताकि ऑपरेशन दाऊद को अंजाम तक पहुंचाया जा सके.
इन कारनामों के चलते जेम्स बांड कहलाते हैं डोभाल -जून 2010: अजित डोभाल के दिशा निर्देशन में भारतीय सेना ने पहली बार सीमा पार म्यांमार में कार्रवाई कर उग्रवादियों को मार गिराया. ऑपरेशन में करीब 30 उग्रवादी मारे गए. - जून 2014: डोभाल ने आईएसआईएस के कब्जे से 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. नर्सें आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले इराकी शहर तिकरित के एक अस्पताल में फंस गई थींं. - यह अजित डोभाल का ही कमाल था कि 1971 से लेकर 1999 तक 5 इंडियन एयरलाइंस के विमानों के संभावित अपहरण की घटनाओं को टाला जा सका था. - 1999: कंधार में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी -814 के अपहर्ताओं के साथ भारत के मुख्य वार्ताकार के तौर पर अजित डोभाल ही थे. - वह सात साल तक पाकिस्तान में एक गुप्त एजेंट बन के रहे थे. - डोभाल ने एक पाकिस्तानी जासूस के वेष में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से पहले खालिस्तानी आतंकवादियों से कई जानकारियां एकत्र की. उन्होंने एक रिक्शा चालक का वेष रख अपनी पहचान छुपाई रखी. - वह मिजोरम, पंजाब और कश्मीर में चल रहे उग्रवाद विरोधी अभियान में सक्रिय रूप से शामिल थे. 1968 में पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के खिलाफ खुफिया अभियान चलाने के दौरान लालडेंगा उग्रवादी समूह के 6 कमांडरों को उन्होंने भारत के पक्ष में कर लिया था. - कश्मीर में कुक्के पैरे जैसे कट्टर कश्मीरी आतंकवादी को राज़ी कर अजित डोभाल ने भारत विरोधी संगठनों को शांति का संदेश दिया था. उन्होंने कट्टरपंथी भारत विरोधी आतंकवादियों को भी निशाना बनाया और 1996 में जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव के लिए मार्ग प्रशस्त किया.
मालूम हो कि अजित डोभाल ने ही विवेकानंद फाउंडेशन की स्थापना की है. इसी फाउंडेशन की बैठक के दौरान पहली बार तत्तकालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अजित डोभाल की मुलाकात हुई थी. कुछ ही दिनों बाद दोनों के बीच मजबूत दोस्ती हो गई.