कश्मीर ही नहीं, पाकिस्तान भी हिंदुस्तान का अटूट हिस्सा: राणा
BY Suryakant Pathak29 Sep 2016 10:44 AM GMT

X
Suryakant Pathak29 Sep 2016 10:44 AM GMT
उदयपुर: अपने बेबाक राय के लिए जाने जाने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा ने पाकिस्तान पर भी अपनी राय बेबाकी से रखी है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है के सवाल पर राणा ने कहा कि जनाब, मैं तो कहता हूं कि कश्मीर ही नहीं, पाकिस्तान भी हिंदुस्तान का हिस्सा है। उन्होंने ये बातें उदयपुर में एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में कही। 100 साल से ज्यादा वक्त नहीं गुजार पाएंगी भारत-पाक की सरहदें आप देख लेना, हिंदुस्तान और पाकिस्तान में सरहदें सौ साल से ज्यादा वक्त नहीं गुजार पाएंगी। दहशतगर्दी तो वहां की हुकूमतों का मसला है। लोग तो वहां के भी नहीं चाहते कि जंग हो, और यहां के भी। दोनों से एक दूसरे से रिश्ते हैं। तहजीबें एक हैं। हरकतें एक हैं। अब देखिए ना, सिगरेट पीने के लिए माचिस मांगना, वहां भी है-यहां भी। दरअसल ये सारा फसाद इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान अननेचुरल मुल्क है। काट-पीट कर जबर्दस्ती बनाया हुआ। वहां की हुकूमतें हिंदुस्तान से नफरत करती हैं। ये दहशतगर्द वहां की हुकूमतों के वो बिगड़ैल बेटे हैं, जो अब उनके वश में भी नहीं रहे हैं।...अजी, मैं तो जाता रहता हूं ना वहां। कोई यहां से जाए तो रात-रात भर यहां के किस्से सुनकर रोते हैं वहां के लोग। उनकी रूह बसी है यहां। वहां आपको गांधी भवन, देसाई भवन दिख जाएंगे। आपको बता दूं- ये आतंकी हाफिज और जाने कौन-कौन हैं, ये सब दहशत और चंदे की दुकानें हैं। भारत-पाक की समस्या समाधान-मां भारत-पाक समस्या का आपकी नजर में समाधान पर उनका जवाब-मां। मां... हां। वो कैसे फिर सुनाने लगते हैं- कोई सरहद नहीं होती, कोई गलियारा नहीं होता। मां बीच में होती, तो बंटवारा नहीं होता। जिन्ना और नेहरू के वक्त में यदि दोनों की मां बीच में होती तो बंटवारा नहीं होता। मैं तो शायर हूं। उसी जुबान में कहूंगा। अब जब भी दोनों मुल्कों की बात हो तो पहली शर्त ही ये हो कि दोनों बादशाहों की मांएं साथ हो। वैसे मैं सच कहूं-हमारा मुल्क हमलावर नहीं डिफेंसिव रहा है। ये पाकिस्तान भी जानता है कि जंग हुई तो उसके लिए आखिरी होगी। पाकिस्तान से मुद्दा जब असहिष्णुता और अवार्ड वापसी की ओर मुड़ा तो, खुद ही कहने लगे। मां के इंतकाल के बाद कहीं दिल ही नहीं लगता बात मां पर आई तो बोले, मां के इंतकाल के बाद कहीं दिल ही नहीं लगता। और फिर भरी आंखों से सुनाने लगे। ''मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं, मां से इस तरह लिपटूं कि बच्चा हो जाऊं।'' बताया वह कैसे बने 'राणा' उसदौर में हमारे काफी रिश्तेदार पाकिस्तान चले गए थे। पिता जी ने कहा-हम अपने पुरखों की कब्रें छोड़कर नहीं जाएंगे। 30 साल तक ट्रक चला हमको पाला। वो महाराणा प्रताप के बड़े मुरीद थे। हमारे ट्रांसपोर्ट का नाम भी राणा रखा था। तब से हमारा टाइटल भी राणा पड़ गया।
Next Story