सुब्रत राय की पैरोल 24 अक्टूबर तक बढ़ी, SC ने 200 करोड़ रुपए जमा कराने के लिए कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सहारा प्रमुख सुब्रत राय की पैरोल की अवधि 24 अक्टूबर तक बढ़ा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने उनसे 200 करोड़ रुपए जमा करने के लिए कहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख राय के वकील से कहा है कि वे कोर्ट को बताएं कि वे सेबी को 12 हजार करोड़ रुपए कैसे देंगे। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को राय की पैरोल की अवधि 23 सितंबर तक बढ़ा दी थी। इसके बाद 23 सितंबर को इस पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को राहत देते हुए सरेंडर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। इसके साथ ही उनकी पैरोल बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई पर भी सहमति जताई थी। इससे पहले 23 सितंबर की सुबह कोर्ट ने सुब्रत रॉय को जेल भेजे जाने का आदेश दिया था। राय को उनकी मां की मौत पर मानवीय आधार पर जेल से गत मई में पैरोल पर छोड़ा गया था। बाद में उन्होंने निवेशकों का धन लौटाने के लिए पैसे की व्यवस्था करने को लेकर उनका पैरोल जारी रखा गया।
23 सितंबर को दो सेशन में सुनवाई हुई थी। पहले सेशन में सुब्रत रॉय के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को नाराज कर दिया था, इस पर तुरंत जेल भेजने आदेश जारी कर दिया गया था। लेकिन जब दूसरे वकील ने माफी मांगी और दया की अपील की तो जेल भेजने के आदेश को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया था। साथ ही कोर्ट को बताया गया कि पहले वाले वकील को हटा दिया गया है। सुब्रत रॉय को जेल भेजे जाने के फैसले से हक्के-बक्के सहारा के वकीलों ने सिब्बल को तुरंत कॉल किया और उन्हें कोर्ट आने को कहा। कुछ घंटों बाद डेढ़ बजे के करीब जब चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बैंच जब उठने वाली थी तो सिब्बल आगे आए। परेशान और खांस रहे सिब्बल ने कहा कि वे बीमारी के चलते सुबह कोर्ट नहीं आ पाए इसके लिए माफी चाहते हैं। साथ ही जो जेंटलमैन सुबह कोर्ट में पेश हुए वे आगे से इस केस में नहीं आएंगे।
इस पर जस्टिस ठाकुर ने कहा था, 'हम भी दुखी है कि आपको बीमारी में बिस्तर से उठकर आना पड़ा। लेकिन हम तो मामले को स्थगित ही करने जा रहे थे। हम यही कह रहे थे कि तीनों संपत्तियों को बेचने की अनुमति है। लेकिन यह आपके वकील के लिए ज्यादा हो गया।' सिब्बल ने कहा कि वे बिना शर्त माफी मांगते हैं और व्यक्तिगत गांरटी लेते हैं कि आगे से ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'कोर्ट का सम्मान सभी को बनाए रखना चाहिए। हम सभी कोर्ट के अधिकारी हैं। सुबह कोर्ट में मौजूद वकीलों ने मुझे इसकी सूचना दी़, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।'