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पाक को एक और झटका, किया सार्क का बहिष्कार, भूटान-बांग्लादेश साथ

पाक को एक और झटका, किया सार्क का बहिष्कार, भूटान-बांग्लादेश साथ
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नई दिल्ली। 19वें सार्क समिट में भारत के शिरकत नहीं करने की विदेश मंत्रालय की औपचारिक घोषणा के बाद बांग्लादेश ने भी स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्र का माहौल बातचीत को जारी रखने के लिए सहायक नहीं है। बांग्लादेश के अलावा अफगानिस्तान और भूटान भी इस नवंबर में होने वाली इस बैठक का बहिष्कार करने का फैसला कर चुके हैं। बांग्लादेश ने सार्क अध्यक्ष नेपाल को पत्र लिखकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।

बांग्लादेश ने पत्र में लिखा, 'बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में एक देश का बढ़ते हस्तक्षेप ने ऐसा माहौल बना दिया है जो 19वें सार्क समिट के आयोजन के लिए मुफीद नहीं है। सार्क प्रक्रिया के प्रारंभकर्ता के तौर पर बांग्लादेश क्षेत्रीय सहयोग, संयोजकता और संपर्क की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है, लेकिन यह सभी बातें और सौहार्दपूर्ण वातावरण में ही आगे बढ़ सकती हैं। इन्हीं सब मुद्दों को देखते हुए, बांग्लादेश इस्लमाबाद में इस प्रस्तावित बैठक में शामिल होने में अक्षम है।'

भारत के समर्थन में भूटान ने भी सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, 27 सितंबर को अफगानिस्तान ने भी सार्क के अध्यक्ष देश नेपाल को पत्र लिखकर कहा है कि हिंसा और आपसी लड़ाई के बढ़े स्तर से अफगानिस्तान आतंक का शिकार बना हुआ है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ घनी कमांडर इन चीफ के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का वहन कर रहे हैं और पूरी तरह व्यस्त हैं इसलिए वह सार्क समिट में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।

आतंकवाद के मुद्दे पर नेपाल भी भारत के साथ है और पाकिस्तान से रुख साफ करने को कहा है। ऐसी चर्चा है कि नेपाल खुद इस बैठक से बाहर हो सकता है। भारत और बांग्लादेश के बहिष्कार के बाद समिट का स्थगित होना तय माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि नए नियमों के मुताबिक, समिट तभी हो सकेगी जब इसके सभी सदस्य राष्ट्र इसमें शामिल हों।

पाकिस्तान को झटका देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात फैसला किया कि वह इस्लामाबाद में नवंबर में होने वाले दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। इसके बाद इस आठ सदस्यीय समूह के तीन और देशों ने भी सम्मेलन से अलग रहने का निर्णय लिया। पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद जारी रखने का हवाला देते हुए सरकार ने ऐलान किया कि 'मौजूदा हालात में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में भाग लेने में असमर्थ है।' सूत्रों के अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।

इस शिखर सम्मेलन को रद्द करना होगा क्योंकि दक्षेस चार्टर के अनुसार किसी एक शासन प्रमुख की अनुपस्थिति में भी शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता। इस फैसले की घोषणा करते हुए भारत ने आज रात कहा कि ''एक देश'' ने ऐसा माहौल बना दिया है जो शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन के अनुकूल नहीं है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'भारत ने दक्षेस के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को अवगत करा दिया है कि क्षेत्र में सीमापार से आतंकवादी हमलों में वृद्धि और एक देश द्वारा सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में बढ़ते हस्तक्षेप ने ऐसा वातावरण बना दिया है जो 19वें दक्षेस सम्मेलन के सफल आयोजन के अनुकूल नहीं है।' इसमें कहा गया है कि मौजूदा परिदृश्य में भारत सरकार इस्लामाबाद में प्रस्तावित सम्मेलन में शामिल होने में असमर्थ है।

इसमें कहा गया है कि हम यह भी समझते हैं कि दक्षेस के कुछ अन्य सदस्य देशों ने भी नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में आयोजित सम्मेलन में शामिल होने को लेकर अपनी असमर्थता जतायी है। नेपाल को भेजे पत्र में भारत ने कहा कि वह क्षेत्रीय सहयोग और संपर्क के प्रति अपनी दृढ़ता पर कायम है लेकिन उसका मानना है कि ये सब आतंकवाद मुक्त माहौल में ही हो सकता है।

पाकिस्तान ने दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने के भारत के निर्णय को आज 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया। पाकिस्तानी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने भारतीय प्रवक्ता के उस ट्वीट का संज्ञान लिया है जिसमें भारत ने यहां आयोजित होने वाले 19वें दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने की घोषणा की है।

प्रवक्ता ने देर रात जारी बयान में कहा, 'हमें इस संदर्भ में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है, लेकिन भारत की घोषणा दुर्भाग्यपूर्ण है।' भारत की ओर से दक्षेस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने की घोषणा ऐसे दिन की गयी है जब विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को उरी हमले को लेकर दूसरा डिमार्श जारी किया और उन्हें उस आतंकवादी हमले में 'सीमापार स्रोत' के सबूत दिखाये जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे।

उरी हमले के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और 56 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि की समीक्षा की है। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान को एकतरफा दिए गए सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे की समीक्षा करने का फैसला किया है।

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