बर्खास्तगी के अगले ही दिन पप्पू पास होगया
लखनऊ : मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के 24 घंटे के भीतर लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद की सरकार को भरपाई करनी पड़ी। पप्पू को उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम का एक वर्ष के लिए अध्यक्ष और निदेशक मंडल में निदेशक के पद पर नामित किया गया है। निषाद समाज की नाराजगी को देखते हुए सरकार को यह कदम उठाना पड़ा।
सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने ऐन चुनाव से पहले अपने फैसले से जोखिम ले लिया क्योंकि बर्खास्त ब्राrाण मंत्रियों के समायोजन के लिए उसे पप्पू निषाद को किनारे लगाना पड़ा। इसलिए समीकरण और संतुलन के लिए यह कदम उठाने की मजबूरी आ गयी। दरअसल, सोमवार को अखिलेश सरकार में बर्खास्त मंत्रियों के समायोजन की कवायद शुरू हुई तो कोटा आड़े आ गया। मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल की संख्या अधिकतम साठ हो सकती है। ऐसे में एक संख्या बढ़ रही थी।
अटकलें तो बहुत से नामों पर लगायी गयी लेकिन मंत्रिमंडल से पप्पू निषाद बर्खास्त किये गए। पप्पू एक पुराने विवाद में पिछले दिनों जेल जरूर गये थे लेकिन बात आयी गयी हो चुकी थी। निषाद जाति के पप्पू को सरकार में सबसे कमजोर कड़ी माना गया लेकिन इससे निषाद, मल्लाह और बिंद समाज में गलत संदेश गया। संतकबीरनगर और आसपास के जिलों में लोग सरकार के इस फैसले से हतप्रभ थे। इसी समाज के शंखलाल मांझी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर सरकार ने निषादों को प्रभावित करने की पहल जरूर की, लेकिन पप्पू के साथ बढ़ रही हमदर्दी के चलते शंखलाल के प्रति नाराजगी भी बढ़ी। निषादों के एक संगठन ने तो सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जो समाज से जुड़ा हुआ मंत्री था उसे बर्खास्त कर दिया गया और जिसने निषाद समाज से दूरी बनाई उसे कैबिनेट का दर्जा दे दिया गया। कुनबे के कलह से जूझ रही सरकार ने इस फ्रंट पर तत्काल संतुलन बनाने के इरादे से पप्पू निषाद को सेतु निगम का अध्यक्ष बनाकर उनका महत्व बढ़ा दिया।