Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

सपा की अंतर्कलह के बीच राजनीति का सबसे मज़बूत हस्ताक्षर बनकर उभरे अखिलेश

सपा की अंतर्कलह के बीच राजनीति का सबसे मज़बूत हस्ताक्षर बनकर उभरे अखिलेश
X

अखिलेश को ये समझ आ गया है कि परिवार के इस झगङे को वो एक अवसर की तरह लेकर अपनी एक अलग छवि बनाकर आने वाले वक्त को सुरक्षित बना सकते हैं, इसलिए इतना कुछ होने के बाद भी उनके चेहरे पर तेज़ झलकता दिखाई दिया. शायद उन्हें पता है कि पिता और चाचा का प्रभाव 2022 के चुनावों तक पूरी तरह अप्रभावी हो जायेगा, इसलिए वो सब कुछ बेहद शांत होकर देख रहे हैं. अपनी छवि को बेदाग और मज़बूत करने के लिए ही उन्होंने कौमी एकता दल को अपने से दूर कर दिया और गायत्री प्रजापति जैसे कई विवादित लोगों को अपने घेरे से बाहर करने की कोशिश कर लोगों में एक संदेश दिया, लेकिन पिता के आदेश का पालन कर कुछ मुद्दों पर वो झुके, जिसका शायद खामियाजा इस चुनाव में ज़रूर भुगतना पड़े, लेकिन लोगों के रुख को देखकर मैं मानता हूँ कि प्रदेश की राजनीति में आने वाला वक्त अखिलेश का हो सकता है.

विवादों से दूर रहने वाले अखिलेश अपने परिवार की नकारात्मक छवि से भले इस चुनाव में असफल हो जाएं, लेकिन उनकी और उनकी पत्नी डिंपल यादव की प्रदेश की राजनीति में मौजूदगी उन्हें देश के सबसे बड़े प्रदेश का भविष्य का नेता तो ज़रूर दर्शाता है. देश में बहुत कम ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने परिवार की राजनीति को अपने दम पर लगातार मज़बूत किया है.

अखिलेश यादव एक ऐसे चरित्र बनकर उभरे हैं, जिसको प्रदेश की राजनीति का सबसे मज़बूत हस्ताक्षर कहाँ जाना शायद अतिश्योक्ति नहीं होगा. 2012 में मुख्यमंत्री बने अखिलेश ने दिन बीतने के साथ ही अपनी छवि को लगातार मज़बूत किया है. करीब साढ़े चार साल से ज्यादा का कार्यकाल बिताने वाले अखिलेश ने ना सिर्फ विकास के साथ साथ अपने ऊपर कोई दाग नहीं लगने दिया, बल्कि संगठन में मज़बूत पकड़ बना अपने परिवार के अन्य राजनीतिक हस्तियों को अपनी मज़बूती भी ज़ाहिर कर दी.

लोगों में जहाँ अखिलेश को लेकर एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, वही उनके परिवार को लोग पसंद नहीं कर रहे. एक आम आदमी बनकर चाय की छोटी छोटी गुमटियों में बैठकर लोगों से चुनावी माहौल पर बात करने से मिले अनुभव से मुझे अखिलेश की मज़बूत होती छवि का एहसास हुआ.

अखिलेश यादव की बात करें तो राजनीति के गुर सीख चुके अखिलेश ने भविष्य को भांपते हुए विकास को प्राथमिकता दी है, जिससे वो युवाओं को अपनी तरफ खींच सके. आगामी चुनाव में एसपी अगर दोबारा सरकार बनाये तो भी और अगर उसका जनाधार उसे तीसरे नंबर की पार्टी बना दे, इन दोनों स्थितियों में मुझे कोई हैरानी नहीं होगी.



Next Story
Share it