विवाद से थमी सपा की चुनावी तैयारियां
मुलायम सिंह के कुनबे में घमासान के चलते सपा की चुनावी तैयारियां थम गई हैं। कुछ मामलों में तो ये रिवर्स गियर में पहुंच गई हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी विकास रथयात्रा स्थगित हो चुकी है। 10 सितंबर से शुरू हुई युवजन सभा की मुलायम संदेश रथयात्रा विशेष प्रभाव नहीं छोड़ पाई।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। साढ़े चार साल से ज्यादा समय से सूबे की बागडोर संभाल रहे अखिलेश यादव के लिए सरकार के रिपोर्ट कार्ड के साथ अब चुनावी संग्राम में जाने का वक्त है।
सियासी संग्राम में जाने से पहले ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार में संग्राम शुरू हो गया। चुनावी साल में स्थिति यहां तक पहुंच गई कि मुलायम ने अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर यह जिम्मेदारी वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव को सौंप दी।
इसकी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने शिवपाल के सभी महत्वपूर्ण छीन लिए। मामला बढ़ा तो शिवपाल ने मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिए। हालांकि उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए लेकिन अखिलेश व शिवपाल समर्थक सड़कों पर आ गए।
मुख्यमंत्री के समर्थन में सपा के चारों युवा संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सपा मुख्यालय और मुलायम सिंह के आवास पर उग्र प्रदर्शन किए। मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद पीडब्लूडी को छोड़कर शिवपाल को अन्य विभाग वापस मिल गए लेकिन परिवार में शांति कायम नहीं हो सकी है।
विवाद के चलते रथयात्रा की स्थगित
चारों युवा संगठनों के सैकड़ों पदाधिकारी इस्तीफा दे चुके हैं। इस पूरे घटनाक्रम से युवा कार्यकर्ताओं में मायूसी का माहौल है। देश में सबसे बड़े सियासी परिवार के रूप में जिस मुलायम सिंह यादव का उदाहरण दिया जाता था, उनके कुनबे का झगड़ा पहली बार सतह पर आया है।
परिवार के सदस्य आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। विवाद सिर्फ अखिलेश बनाम शिवपाल नहीं रह गया। रामगोपाल यादव के भांजे अरविंद प्रताप यादव को पार्टी से निष्कासित किया गया तो रामगोपाल के सांसद बेटे अक्षय यादव उनके समर्थन में उतर आए।
उन्होंने शिवपाल पर निशाना साधा तो जवाब में एटा के विधायक आशीष यादव ने रामगोपाल पर ही आरोपों की बौछार कर दी। पारिवारिक विवाद में रामगोपाल जहां अखिलेश यादव के साथ हैं, वहीं शिवपाल के पीछे मुलायम सिंह खड़े हैं। पहली बार मुलायम परिवार के जूनियर सदस्य, वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साध रहे हैं।
अभियान का थमना बताता है कि हालात अभी सामान्य नहीं सपा ने चुनावी माहौल बनाने के लिए मुलायम सिंह की प्रदेश भर में 18 सभाएं कराने और अखिलेश यादव की समाजवादी विकास रथयात्रा निकालने की तैयारी की थी।
मुलायम की पहली रैली उनके संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में 6 अक्तूबर को होनी थी। तैयारियां प्रारंभ होने के बावजूद परिवार के विवाद के चलते इस रैली को स्थगित कर दिया गया।
सीएम ने खुद ट्वीट करके 3 अक्तूबर से समाजवादी विकास रथयात्रा निकालने की घोषणा की थी, लेकिन विवाद से पनपे माहौल में इसे भी स्थगित कर दिया गया है।
परिवार में नहीं हो पा रही सामान्य स्थिति
चुनाव प्रचार के इन दोनों अभियान के टलने से साफ है कि मुलायम की तमाम कोशिशों के बावजूद परिवार में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाई है। समाजवादी युवजनसभा की मुलायम संदेश यात्रा को 10 सितंबर को मुलायम और अखिलेश ने हरी झंडा दिखाकर रवाना किया था।
इसकी अगुवाई सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरनमय नंदा और युवजन सभा के अध्यक्ष विकास यादव कर रहे थे। यात्रा शुरू ही हुई थी कि 12 सितंबर को दो मंत्रियों गायत्री प्रजापति व राजकिशोर सिंह को बर्खास्त करते ही पारिवारिक विवाद की शुरुआत हो गई।
किरनमय नंदा यात्रा छोड़कर लखनऊ भागे। जैसे-तैसे पारिवारिक विवाद को शांत कराने की कोशिश की। सरकार के काम और पार्टी की नीतियों का संदेश देने के लिए निकली यात्रा पर समाजवादी संग्राम का साया पड़ गया।
दूसरे चरण की यात्रा 25 सितंबर को दिल्ली में मुलायम सिंह के आवास से रवाना होनी थी लेकिन इसे फिलहाल रोक दिया गया है। चुनावी तैयारियों में सपा सभी दलों से आगे थी। सपा ने प्रत्याशियों की घोषणा में भी उसने बाजी मारी।
सपा ने इसी साल 28 मार्च को 142 सीटों पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। कुछ उम्मीदवार बाद मे घोषित किए।विधायकों, संगठन, प्रत्याशियों के बारे में रिपोर्ट लेने के लिए मंडल प्रभारियों की तैनाती करके उनसे रिपोर्ट ली गई।
आंतरिक और बाहरी सर्वेक्षण कराए गए। पर, हारी हुई लगभग एक दर्जन सीटों और सिटिंग 229 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा और चयन का काम परिवार के विवाद में रुक गया है। बूथ सम्मेलनों के बाद संगठनात्मक गतिविधियां बंद हैं।