इस सीट को जीत लिए अखिलेश, तो फिर बनेगी सपा सरकार
BY Suryakant Pathak26 Sep 2016 6:23 AM GMT

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Suryakant Pathak26 Sep 2016 6:23 AM GMT
लखनऊ : प्रदेश में चुनावी माहौल है ऐसे में हरेक सियासी पार्टी अपनी-अपनी राजनीति में लगा हुआ है। वहीं सूबे की सपा सरकार भी अपने सफल योजनाओं को भुनाने में लगी है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार के चुनाव में दोबारा से सपा की सरकार की वापसी तभी होगी जब सपा वेस्ट यूपी के हस्तिनापुर सीट से जीतेगी। जानकारों की मानें तो सूबे की सत्ता उसी पार्टी के हाथों में रहती है, जिसका इतिहास पुराना है।
अखिलेश और सपा को जीतनी होगी ये सीट
अखिलेश और सपा को दोबारा सत्ता में आने के लिए वेस्ट यूपी की हस्तिनापुर से जीत हासिल करना होगा। जानकारों की मानें तो इस सीट का इस्तेमाल पहली बार 1957 को हुआ था और 1967 तक हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक रहे तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही। उसके बाद इस सीट पर क्रांति दल के कैंडीडेट को विजय प्राप्त हुई तो चौधरी चरण यूपी की सत्ता के गलियारों तक पहुंच गए। उसके बाद फिर से कांग्रेस पलट आई। 1977-80 के बीच जनता पार्टी के कैंडीडेट ने जीत दर्ज की और पार्टी की पहली बार सरकार बनी। फिर 1981 से 1989 तक कांग्रेस के 5 सीएम बने। उसके बाद कभी कांग्रेस की सरकार नजर नहीं आई। फिर कभी, समाजवादी की सरकार फिर मायावती, बीजेपी की सरकार एकबार दिखाई दी। लेकिन हस्तिनापुर का ट्रेंड नहीं बदला।
ये वोटर्स है यहां निर्णायक
वैसे इस सीट को मौजूदा समय एससी सीट रिजर्व किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम और गुर्जर वोट हैं। जिनकी संख्या 70-70 हजार है। उसके बाद संख्या एससी वोटर्स की है। जिनकी संख्या 55 हजार के करीब है। मौजूदा समय में इस सीट पर प्रभु दयाल वाल्मिकी समाजवादी पार्टी से विधायक हैं। लेकिन इस सीट पर इनका काफी विरोध है। इस विधानसभा में विकास का दावा काफी किया जाता है।
विकास है यहां का सबसे बड़ा मुद्दा
वैसे तो इस विधानसभा में विकास का मुद्दा हमेशा से रहा है। लेकिन आजकल इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा गंगा नदी पर बन रहे पुल पर निर्माण पर रोक है। जिसे पिछली सरकार के विधायक ने शुरु कराया था। लेकिन सरकार बदलते ही जनता की सहूलियत से जुड़े काम को रोक दिया गया। इस क्षेत्र को संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र का बड़ा हब माना जाता है। लेकिन इसके लिए हर सरकार ने वादे तो खूब किए, लेकिन किसी ने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया। नेहरु जी ने 2 आधुनिक शहरों की घोषणा की थी। जिसमें चंडीगढ़ के साथ हस्तिनापुर का नाम शामिल था। लेकिन आज चंडीगढ़ तो विकसित शहरों में गिना जाता है। लेकिन हस्तिनापुर नहीं। कहा जाता है कि ये द्रौपदी का श्रापित क्षेत्र है। इसलिए इस क्षेत्र का विकास अबतक नहीं हो सका।
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