तीन भारत-पाकिस्तान युद्धों में गई है 22 हजार से अधिक की जान, अब हुई लड़ाई तो ...............
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जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित आर्मी कैंप पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए और 19 अन्य घायल हो गए। हमले के बाद से ही भारत पर पाकिस्तान के खिलाफ सीधी सैन्य कार्रवाई करने का दबाव है। सोशल मीडिया पर आम नागरिकों के अलावा बीजेपी सहित कई राजनीतिक दलों के नेता भी सरकार से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक तीन पूर्ण युद्ध हो चुके हैं। तीनों युद्धों में भारत और पाकिस्तान के 22 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। इनके अलावा 1999 में दोनों देशों के बीच 'कारगिल युद्ध' भी हुआ लेकिन वो पूर्ण युद्ध में नहीं बदला था। कारिगल की लड़ाई में दोनों पक्षों के करीब आठ सौ लोग मारे गए थे।
आइए एक नजर डालते हैं दोनों देशों के बीच अब तक हुए तीन युद्धों के कारणों और उनके परिणामों पर। उसके बाद एक नजर इस संभावना पर भी डालेंगे कि अगर अब दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो क्या हो सकता है।
1971 का युद्ध
1971 के युद्ध की आधारशिला पाकिस्तान में दिसंबर 1970 में हुए आम चुनाव में रखी गई। इस चुनाव में पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली की कुल 300 सीटों में से शेख मुजीबुर्रहमान की अवामी लीग को 160 पर जीत मिली। वहीं जुल्फीकार अली भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) को 81 सीटों पर सफलता हाथ लगी। बाकी सीटें अन्य छोटी पार्टियों को मिलीं। चुनाव की खास बात ये रही कि शेख मुजीब की अवामी लीग को पश्चिमी पाकिस्तान में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली। वहीं भुट्टो को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में एक भी सीट नहीं मिली। उस चुनाव से पहले तक पाकिस्तानी सत्ता पर पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं का वर्चस्व रहा था। पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों में भी पश्चिमी पाकिस्तान के रहने वालों का ज्यादा प्रभाव था। चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी जब शेख मुजीब की सरकार नहीं बन पाई तो उन्होंने सात मार्च 1971 को बांग्लादेश को अलग राष्ट्र घोषित कर दिया। पाकिस्तानी सेना ने मौजूदा बांग्लादेश पर क्रूर सैन्य कार्रवाई कर दी। पाक सेना को जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का भी साथ मिला। बड़े पैमाने पर फैली सैन्य और नागरिक हिंसा के कारण करीब एक करोड़ बांग्लादेशी भारत में पलायन कर गए। दिसंबर 1971 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेशियों की मदद का फैसला करते हुए भारतीय सेना को युद्ध का आदेश दे दिया।
1971 की लड़ाई मात्र 13-14 दिनों तक चली। बांग्लादेश के ढाका में करीब 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के आगे हथियार डाल दिए। लड़ाई में दो हजार भारतीय सैनिक और छह हजार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। 16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का नए देश के रूप में जन्म हुआ। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में मारे गए लोगों की संख्या 5 लाख से 10 लाख के बीच मानी जाती है। वहीं लाखों लोग विस्थापित हुए थे। दोनों सेनाओं के बीच सीधा युद्ध बहुत कम देर चला लेकिन पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान समर्थक लड़ाकों पर बांग्लादेशी की हजारों महिलाओं के संग बलात्कार का आरोप लगा। बांग्लादेश से पलायन करके भारत के विभिन्न इलाकों में शरणार्थी कभी भी पूरी तरह वापस नहीं जा सके। पूर्वोत्तर भारत के कुछ राज्यों में बांग्लादेशी शरणार्थी आज भी राजनीतिक मुद्दा हैं।