कैराना का 'काला सच', चुनाव में मुद्दा बनाने की हो रही तैयारी

कैराना से पलायन मुद्दे पर सांसद हुकुम सिंह के आरोपों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच टीम की मुहर के बाद भाजपा इस पर मुखर हो सकती है। आयोग ने माना है कि कैराना में आबादी के आंकड़ों में धार्मिक आधार पर बड़ा बदलाव आया है।
यह इत्तेफाक है कि भाजपा की इलाहाबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले हुकम सिंह से कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा उठाकर राजनीतिक माहौल को गरमाया था।
अब 24-25 सितंबर को केरल के कालीकट में राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक से ठीक पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ने हुकम सिंह के पलायन के आरोपों को सही ठहराया है।
आयोग ने पलायन के उन कारणों को भी सही माना है जिनका उल्लेख भाजपा के जांच दल ने राज्यपाल को दिए ज्ञापन में किया था। यह मुद्दा एक बार भाजपा की राष्ट्रीय परिषद में उठ सकता है।
भाजपा ने कैराना से पलायन करने वाले 346 लोगों की सूची जारी की थी। मानवाधिकार आयोग की टीम ने दो दिन कैराना में रहकर बहुत सारे लोगों से बातचीत की। अधिकतर आरोप सही पाए गए हैं।
सपा की संतों की कमेटी ने भी की थी जांच की मांग
डेमोग्राफी बदलने का अकेला मामला नहीं
मानवाधिकार आयोग ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद हजारों की तादाद में मुसलिम परिवारों के कैराना आ जाने से डेमोग्राफिक बदलाव हो जाने का जिक्र किया है। दरअसल, कैराना में लंबे समय तक गांवों से पलायन करने वाले मुसलमानों के शिविर लगे थे। चूंकि कैराना में पहले से ही मुसलिम आबादी ज्यादा थी, इसलिए शरणार्थियों ने वहीं बसना मुफीद समझा।
कैराना में धार्मिक आधार पर आबादी का अनुपात मुजफ्फरनगर दंगे के कारण बदला है लेकिन पश्चिमी यूपी के कई कस्बों और शहरों में बिना दंगे के ही डेमोग्राफिक बदलाव आ गया है। इसकी प्रमुख वजह धार्मिक आधार पर बसावट का रुझान है।
भले ही इसे सामाजिक सुरक्षा और रोजगार से जोड़कर देखा जाता हो लेकिन मुस्लिम और हिंदू बहुल इलाकों से एक संप्रदाय के लोगों का दूसरी जगह शिफ्ट होना आम होता जा रहा है। बड़े शहरों में यही काम एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्ले में हो रहा है। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद इसमें तेजी आई है।
गन्ने की मिठास वाले इस क्षेत्र में घोली जा सकती है कड़वाहट
चूंकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, इसलिए गन्ने की मिठास वाले इस इलाके के सौहार्द में कड़वाहट घोलने की कोशिश हो सकती है। इसमें कैराना ही नहीं कांधला और अन्य कस्बों से पलायन को मुद्दा बनाया जा सकता है।
कच्चे माल की तरह इस्तेमाल हो रहे मुद्दे
समाज के जागरूक लोग मानते हैं कि शासन, प्रशासन ही नहीं आम लोगों को भी इस तरफ ध्यान देना होगा, वरन पता नहीं कौन सी चिंगारी आग का रूप ले ले। कभी सौहार्द की मिसाल के तौर पर पेश किया जाने वाला वेस्ट यूपी का गंगा, यमुना, रामगंगा का यह इलाका इन दिनों सांप्रदायिक बारूद के ढेर पर है।
हर रोज कहीं न कहीं सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हो रही है। यहां लड़कियों, महिलाओं से छेड़छाड़, गौकशी, धर्मस्थलों के निर्माण, लाउडस्पीकर लगाने या बंद कराने की मांग, कब्रिस्तान व अन्य जमीनी विवाद कब फसाद का रूप ले लें, कहा नहीं जा सकता।
आरोप सही साबित, अब कराएं सीबीआई जांच: केशव
यह रिपोर्ट प्रदेश सरकार को आईना दिखाती है। उन्होंने कहा कि पलायन की सीबीआई जांच ही अब एक मात्र विकल्प है। केशव प्रसाद ने कहा कि भाजपा ने 15 जून को नेता विधानमंडल दल सुरेश खन्ना के नेतृत्व में जांच दल स्थलीय जानकारी के लिये कैराना भेजा था। जांच दल ने पलायन को सही पाया था।
17 जून को राज्यपाल को ज्ञापन देकर समाजवादी पार्टी के संरक्षण में वर्ग विशेष के अपराधियों की दहशत से पलायन करने वाले परिवारों का पुनर्वास कराने की मांग की गई थी। इसके अलावा पलायन के लिए जिम्मेदार अपराधियों पर कठोर कार्रवाई करने और को दंडित करने की मांग की गई थी।
भाजपा ने कैराना सहित प्रदेश भर में अन्य स्थानों के पलायन को जांच में शमिल करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि भाजपा पलायन के विरोध में संघर्ष करती रहेगी।
सीएम ने कहा, झूठ का पुलिंदा है रिपोर्ट
कैराना से लोगों के पलायन संबंधी भाजपा की रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है। भाजपा की सूची की जांच करा ली गई है। इनमें से कोई 15 साल पहले तो कोई 20 साल पहले ही कारोबार के सिलसिले में कैराना छोड़ चुके हैं।
सूची में शामिल कई लोगों की मौत हो चुकी है। प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिश हो रही है। अगर लोगों को कैराना पर ही बहस करनी है तो ये भी देख लें कि दिल्ली और मुंबई में न जाने कहां-कहां से लोग आकर बसे हैं'। (अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री 20 जून को)
डीएम ने कहा था, तीन परिवारों ने डर से कैराना छोड़ा:
शामली के डीएम ने पलायन करने वाले 346 परिवारों की सूची का सत्यापन कराकर शासन को रिपोर्ट भेजी थी। इसमें कहा गया है है कि अधिकतर परिवार स्वेच्छा से बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के उद्देश्य से कैराना से गए हैं।
सिर्फ तीन परिवार ऐसे हैं, जो घटनाएं होने के कारण दूसरे शहरों में शिप्ट हुए हैं। उनके मकान आज भी कैराना में है। कुछ नाम ऐसा पाए गए हैं जो कैराना से 10 किमी दूर शामली या अन्य स्थानों पर रह रहे हैं।