प्रदेश के विकास की रफ़्तार बदल देगा आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीते दिनों पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने एक उदहारण दिया था – "अमेरिका ने सड़के बनायीं और सड़को ने अमेरिका बना दिया". और अखिलेश यादवने भी आगरा लखनऊ एक्प्रेस वे बना कर वही किया।
आइये जानते हैं कि आखिर क्या है ऐसा इस सड़क में जिसके वजह से यह कहा जा रहा है कि यह एक सड़क भारत में सड़क निर्माण का पूरा व्याकरण ही बदल दिया . शुरुआत में इस निर्माण प्रक्रिया को आश्चर्य से देख रहे NHAI ने भी अब इसके मानको को अपनाने की घोषणा कर दी है.
संभवतः भारत का यह पहला एक्प्रेस वे है जो न सिर्फ सड़क परिवहन के लिए शानदार अनुभव होगा बाकि फाईटर प्लेन के लिए यह एक माकूल रनवे भी होगा. इस सड़क पर फाईटर प्लेन से ले कर हेलीकाप्टर तक कभी भी आराम से उतर सकते हैं.
302 किलोमीटर की लम्बाई वाली यह सड़क देश की बसे लम्बी 6 लेन एक्सेस कंट्रोल ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेस-वे है. खराब मौसम और बाढ़ जैसी कठिनाइयों के बावजूद देश की यह सबसे बड़ी ग्रीन-फील्ड परियोजना 22 महीनों के रिकॉर्ड समय में तैयार होने जा रही है.
यह थी बड़ी चुनौती
आगरा से लखनऊ को जोड़ने वाली इस परियोजना की चुनौतियाँ भी बड़ी थी. अपने पूरे रस्ते में 5 नदियों से होकर गुज़रने वाले इस सड़क में कुल 900 स्ट्रक्चर्स हैं जिनमें 13 बड़े पुल, 52 छोटे पुल, 4 रेल पुल, 132 फुट-ओवर पुल और 59 अंडर-पास शामिल हैं. 4 राष्ट्रीय राजमार्गों और 2 राज्यमार्गों को जोड़ने वाले इस विशाल प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदारी यूपीडा के सीईओ नवनीत सहगल के हवाले है जिनकी लगातार मानिटरिंग के वजह से यह परियोजना न सिर्फ रिकार्ड समय में पूरी हो रही है बल्कि अनुमानित लगत में 10% की बचत का अनुमान भी लगाया जा रहा है.
हमेशा से माना जाता था कि एक बड़ी सड़क बनाने में लम्बा वक्त लगता है और खास तौर से यूपी के मामले में यह कहावत बहुत ही प्रसिद्द थी कि यहाँ सड़क निर्माण का कोई काम बिना तीन बार समय सीमा बढ़ाये पूरा ही नहीं हो सकता. सीएम अखिलेश भी इस बात से बखूबी परिचित थे कि अगर यह सड़क गुणवत्ता से ले कर समय सीमा तक के मानको पर खरी नहीं उतरी तो उनका विकास का शो केस आलोचना का शिकार हो सकता है . इसलिए इस एक्सप्रेस वे की कमान उन्होंने नवनीत सहगल जैसे कर्मठ आईएएस अफसर के हांथो में सौंप दी.
दूसरी सबसे बड़ी चुनौती थी इस सड़क के लिए भूमि अधिग्रहण. भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि किसानो ने बिना किसी विवाद के इतनी बड़ी जमीन सरकार को दे दी हो. इसके लिए मुआवजा राशि इतनी आकर्षक रखी गयी कि किसानो ने ख़ुशी ख़ुशी अपनी जमीन दे दी और त्वरित भुगतान ने प्रक्रिया को बाधा रहित कर दिया.
मायावती सरकार में बने यमुना एक्सप्रेस वे में उद्योगपतियों को जमीन देने के मामले ने बड़ा तूल पकड़ा था , मगर आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे में किसान अखिलेश सरकार की प्राथमिकता बन गए.इस सड़क के किनारे 4 जगहों पर मण्डियाँ बनायीं गयी है जो इलाके के किसानो के उपज को सीधे बड़े बाजार तक पहुचायेंगी.