Janta Ki Awaz
उत्तर प्रदेश

जागरण अख़बार के परवेज अहमद ने शिवपाल से लंबी गुफ्तगू की प्रस्तुत है खास हिस्से

जागरण अख़बार के परवेज अहमद ने शिवपाल से लंबी गुफ्तगू की प्रस्तुत है खास हिस्से
X
लखनऊ: शिवपाल सिंह यादव की छवि खांटी सियासतदां के साथ औघड़दानी के रूप में भी है। 'क्षणे रुष्टा, क्षणेतुष्टा-यह उक्ति उनके व्यक्तित्व पर सटीक लगती है। वह गर्व से कहते हैं कि शरारत करने पर बड़े भाई (मुलायम सिंह यादव) के हाथों कई बार पिटे तक हैं। बढिय़ा काम पर दुलारे गए हैं। इस समय वह सरकार के मंत्री के साथ समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। हाल के दिनों में परिवार के सत्ता संग्र्राम, विवादों के चलते सपा के नफा-नुकसान और भविष्य की प्लानिंग पर विशेष संवाददाता परवेज अहमद ने उनसे लंबी गुफ्तगू की। प्रस्तुत है खास हिस्से।

-समाजवादी परिवार के 'संघर्ष को लेकर जनता में संदेश क्या गया?
पहले तो परिवार में संघर्ष हुआ नहीं और न संभावना है। हां, कुछ चीजें हुईं, उसका कारण जनता ही थी। गरीबों की जमीन पर कब्जा होने की शिकायतें हैं। कई लोग साक्ष्य देकर बताते थे शराब की भट्ठियां चल रही हैं। माफिया चकबंदी अधिकारियों से मिलकर खुद के लिए अच्छे चक बनवा रहे थे और परती चक गरीबी को दिया जा रहा था। गरीब परेशान था। उसका दर्द दूर करने की आवाज उठाई। तरीके को लेकर गलतफहमियां हुईं। ये लड़ाई गरीब जनता की थी तब संदेश तो सकारात्मक जाना चाहिए।

-इस संघर्ष में आप और सपा कितने पीछे आ गए?
देखिए, ग्र्रामीण क्षेत्रों की बड़ी आबादी उपेक्षित थी। कुछ लोग पीडि़त भी हैं। आम कार्यकर्ता निराश हो रहा था, अब उनमें जान आई है। वह संघर्ष को तैयार है। जिस दल के साथ आम आदमी होता है, वह पीछे नहीं रहता। सपा आम आदमी की पार्टी है। जहां नकारात्मक संदेश होगा, उसे नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री के साथ मिलकर ठीक कर लेंगे।

-यह स्पष्ट है कि आप और अखिलेश एक म्यान की दो तलवार हो गए हैं, अभी तो मुलायम फार्मूला चल गया, बाद में?
ऐसा क्यों कहते हैं। सपा में विचार रखने और तर्क के पक्ष में खड़े होने की आजादी होती है। हमने अपनी-अखिलेश ने अपनी बात नेताजी के सामने रखी। कई चीजें साफ हुई। जब बर्तन भी आपस में खड़ उठते हैं, तो हम तो राजनीति हैं, मगर परिवार एकजुट रखने को मैं सब कुछ बर्दाश्त करने को तैयार हूं।
-सत्ता संघर्ष के बाद यह चर्चा आम है कि शिवपाल-अमर एक ओर और अखिलेश-रामगोपाल दूसरी ओर हैं। इस खेमेबंदी में सपाई कैसे सामंजस्य बनायेंगे?
आप खेमेबंदी कहिए, हमारे बीच कोई खेमेबंदी नहीं है। सबका लक्ष्य एक ही वर्ष 2017 में सरकार बनाना तब सामंजस्य बनाने में दुश्वारी कहा है, जो कार्यकर्ता मेहनत से काम करेगा, वह आगे बढ़ेगा। उसके लिए जिससे भी लडऩा होगा लडूंगा, जो गुटबंदी करेगा, वह बाहर जाएगा।

-मगर युवा ब्रिगेड पर एकतरफा कार्रवाई हो गई?
राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के प्रति अपमानजक टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। पार्टी अनुशासन से चलती है। घर में पिता भी बेटे को सजा देता है तो उसे सुधारने के लिए।
-आपके लिए अखिलेश ज्यादा महत्वपूर्ण या अमर सिंह?
अखिलेश मुख्यमंत्री के साथ मेरे भतीजे हैं। ऐसे भतीजे जिसे मैंने और मेरी पत्नी ने बेटे के रूप में पाला है। उसकी कोई बात मैने नहीं टाली। अमर सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। सुना है नेताजी ने उन्हें महासचिव भी बना दिया है।
-मुख्यमंत्री ने पीडब्ल्यूडी विभाग आपको वापस क्यों नहीं किया ?
यह मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार है। जहां तक मेरी बात है तो मैने पीडब्ल्यूडी विभाग में बहुत काम किया। जिला मुख्यालयों को चार लेन से जोडऩे का कार्य पूरा होने को है। गंगा-यमुना नदी पर कई पुल बनाए। विधायकों, कार्यकर्ताओं की खूब सुनी। विधायकों के क्षेत्र में सड़कें बनवाईं। मगर दिक्कत यह है कि कई मंत्री अच्छा काम नहीं कर रहे, उन्हें जनता प्रति जवाबदेह होना चाहिये।
-गुटों में बटी सपा को नया प्रदेश अध्यक्ष एकजुट कैसे कर पायेगा?
देखिए, कार्यकर्ता की समस्या सुनना मेरी आदत है। मंत्री के रूप में 400 जनता दर्शन किये हैं। अब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में यही काम करूंगा। मेहनती कार्यकर्ता को संगठन में प्रोन्नति मिलेगी, इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा। नेताजी के निर्देश पर मैं, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मिलक वर्ष 2017 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे। पार्टी में गुटबंदी नहीं है।
Next Story
Share it