अखिलेश को कतई नहीं पसंद आएगा ये "अमर-प्रेम"

लखनऊ. बीते दिनों से समाजवादी पार्टी में चल रहे युद्ध में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अब अपने ही बेटे और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक के बाद एक झटके देने शुरू कर दिए हैं. बीते तीन दिनों में पार्टी के कई ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जो अखिलेश को कतई पसंद नहीं आएंगे.
मंगलवार को मुलायम सिंह ने सियासत के बाजीगर अमर सिंह को एक बार फिर समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है. इसके पहले शिवपाल सिंह यादव ने प्रदेश अध्यक्ष का पद सम्हालने के साथ ही अखिलेश समर्थको की पूरी टीम को ही निपटा दिया था.
अमर सिंह के राष्ट्रीय महासचिव बनाने के फैसले को प्रो राम गोपाल यादव के पर कतराने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. रामगोपाल और अमर सिंह की कभी नहीं पटरी खायी थी. कुछ साल पहले जब अमर सिंह को बाहर का रास्ता भी रामगोपाल और आजम खान के दवाव में ही दिखाया गया था.
समाजवादी कुनबे में हालिया झगड़े के बाद जब अचानक मुलायम खुद अखिलेश के खिलाफ खड़े हो गए तो राम गोपाल भी शिवपाल के सीधे निशाने पे आ गए थे. राम गोपाल और अखिलेश ने सीधे सारे विवाद की जड सरकार में अमर सिंह के हस्तक्षेप को बताया था. इसके बाद जब मुलायम और शिवपाल एक साथ अखिलेश के खिलाफ हुए तब से ही माना जा रहा था कि रामगोपाल भी इसके शिकार बनेंगे.
अब, जब अमर सिंह सपा के राष्ट्रीय महासचिव बन गए हैं तो वे यूपी के चुनावो में अपनी बड़ी भूमिका की तलाश करेंगे. प्रदेश संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष अखिलेश को जब मुलायम ने बनाया तब यह माना गया कि चुनावो में टिकट बंटवारे में अखिलेश मजबूत रहेंगे मगर अब अमर सिंह के आने के बाद अखिलेश की मुश्किलें बढेंगी.
अमर सिंह भले ही अखिलेश को अपना बेटा कहते रहे मगर इस पारी में अखिलेश ने अमर सिंह से खुद को दूर रखा. अखिलेश कतई नहीं चाहते थे कि उनके साफ़ दामन पर अमर सिंह की "दलाल" वाली छवि की परछाई भी पड़े. अखिलेश ने इतनी दूरी बना ली कि अमर सिंह को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि मुख्यमंत्री के पास मुझसे मिलने का समय नहीं है, मैं राज्य सभा से इस्तीफ़ा दे दूंगा.
मगर अखिलेश फिर भी नहीं माने, अपने पुराने चहेते दीपक सिंघल को येन केंन प्रकारेण अमर सिंह ने सूबे के मुख्य सचिव की कुर्सी तो दिलवा दी मगर अखिलेश के कड़े नियंत्रण ने अमर सिंह के रूचि वाले फैसले नहीं होने दिए. इसके बाद दीपक सिंघल की कुर्सी भी चली गयी.
झगडा सड़क पर आया तो अमर सिंह पर चौतरफा हमले हुए. पहले रामगोपाल और फिर खुद अखिलेश ने अमर सिंह की तरफ इशारा किया. अब मुलायम सिंह अखिलेश को दबाव में लाने में खुद ही जुट गए हैं और ऐसे ऐसे फैसले ले रहे हैं जो निश्चित रूप से अखिलेश यादव को पसंद नहीं आयेंगे.