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उत्तर प्रदेश

युवा जनाधार के अगुवा अखिलेश

युवा जनाधार के अगुवा अखिलेश
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जिस तरह से प्रदेश भर के युवा नेताओं ने अखिलेश के समर्थन में अपने इस्तीफे दिए हैं उसने यह साफ कर दिया है कि यूपी अखिलेश यादव सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं हैं बल्कि प्रदेश के युवा जनाधार के अगुवा हैं। एक तरफ जहां तमाम युवा नेताओं ने अखिलेश के समर्थन में ताबड़तोड़ इस्तीफे दिए तो दूसरी तरह कई नेता विरोध दिखाने के लिए मोबइल टॉवर पर चढ़े और कुछ ने खून से अपना इस्तीफा लिखा।
लेकिन यहां समझने वाली बात यह है कि जिस तरह से यूपीभर से तमाम युवा सगठनों के नेताओं ने अपने पद से इस्तीफ दिया है उससे साफ हो गया है कि प्रदेश में सपा का युवा नेता अखिलेश यादव के नेतृत्व के साथ खड़ा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से प्रदेश अध्यक्ष का पद वापस लिए जाने के बाद युवा नेताओं ने इसका जमकर विरोध किया और एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष का पद अखिलेश यादव को देने की मांग की है।

इस्तीफे बयां करते हैं यूपी का युवा नेतृत्व
हरदोई से मुलायम सिंह युवा ब्रिगेड के प्रदेश सचिव मुकुल सिंह, प्रदेश सचिव कौशलेंद्र सिंह, प्रवीन सिंह ने इस्तीफा दिया, तो फैजाबाद से समाजवादी युवजन सभा के प्रदेशीय महासचिव अनिमेष प्रताप सिंह राहुल, प्रदेश सचिव सयुस जय सिंह यादव, सपा ब्राह्मण सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आशीष पाडे दीपू, मुलायम यूध ब्रिगेड के प्रदेश सचिव अभय यादव, लोहिया वाहिनी के प्रदेश सचिव विवेक मिश्र ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया। ऐसे ही बलरामपुर, नोएडा, गाजियाबाद,कन्नौज, चित्रकूट, मुरादाबाद, अलीगढ़, अमेठी, प्रतापगढ़, लखीमपुर, हापुड़ बरेली सहित तमाम जिलों से युवा नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा देकर अखिलेश यादव को अपना समर्थन दिया है।

ये जवानी है कुर्बान अखिलेश भैया तेरे नाम
युवा नेता अखिलेश यादव के समर्थन में जमकर अपना प्रदर्शन कर रहे हैं, नेता ये जवानी है कुर्बान अखिलेश भैया तेरे नाम। यह नारे अखिलेश यादव की युवा नेताओं में लोकप्रियता का अंदाजा देते हैं। एक नेता ने यह अपने इस्तीफे में लिखा कि अगर मुलायम सिंह- अखिलेश सिंह जिंदाबाद कहना है गुनाह है तो वह यह गुनाह बार-बार करेंगे। छात्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव हरेश्याम सिंह श्रीनेत का कहना है कि नेताजी के बाद अखिलेश भैया के लिए हम अपनी जवानी भी कुर्बान करे देंगे। वही हमारे नेता हैं, ऐसे में अगर उनका सम्मान नहीं रहेगा तो पद लेकर क्या करेंगे।

कमजोर किया जा रहा है अखिलेश को
श्रीनेत कहते हैं कि 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में हमने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन इस बार जानबूझकर उन्हें कमजोर किया जा रहा है। ऐसे में हम किसके लिए संघर्ष करेंगे। जिस तरह से प्रदेशभर के युवा नेता अखिलेश यादव के समर्थन में खुलकर सड़कों पर उतरे हैं उससे एक बात तो साफ हो गई है कि बिना इन नेताओं के समाजवादी पार्टी के लिए आगामी चुनाव में जाना नामुमकिन है। खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपील करनी पड़ी की नेताजी का फैसला है, आप लोग इस्तीफा मत दीजिए, धैर्य से काम लीजिए सब बेहतर होगा।

युवा नेतृत्व की चुनौती
2012 के चुनाव में अखिलेश यादव ने खुद युवा राजनीति की कमान अपने हाथों में ली थी और युवाओं को सपा की ओर संगठित रुप से आकर्षित करने का बड़ा काम किया था। जिसकी बदौलत सपा ने इस चुनाव में भारी बहुमत हासिल किया था। ऐसे में अखिलेश यादव से प्रदेश अध्यक्ष का पद वापस लेना पार्टी के लिए मुश्किल का सबब साबित हो सकता है।

मुलायम की भी अग्नि परीक्षा
इस चुनाव में अखिलेश यादव की लोकप्रियता और संगठन की ताकत को देखते ही मुलायम सिंह यादव ने उन्हें बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस जिम्मेदारी का जिस तरह से अखिलेश यादव ने परिपक्वता से निर्वहन किया और युवाओं के बीच अपनी पैठ को कम नहीं होने दिया वह उनके पक्ष को और मजूबत करती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि किस तरह से सपा मुखिया युवाओं के गुस्से को शांत करने में कामयाब होते हैं।
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