जीना यहां, मरना यहां इसके सिवा ..
BY Suryakant Pathak20 Sep 2016 6:34 AM GMT

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Suryakant Pathak20 Sep 2016 6:34 AM GMT
सीतापुर के एमएलसी आनंद भदौरिया का कहना है कि वह बचपन से समाजवादी सिद्धांत पर चलें हैं। कोई अगर कहे कि नेताजी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी और मृत्यु में किसी एक को चुनना हो तो वह मृत्यु को चुनना पसंद करेंगे। उन्होंने कहाकि वह अंतिम सांस तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देशों का पालन करेंगे क्योंकि उनको जीना यहां मरना यहां इसके सिवा जाना कहां।
कहते हैं बुरा वक्त कभी दस्तक देकर नहीं आता। सोमवार की दोपहर ऐसा ही कुछ सीएम अखिलेश यादव के कोर जोन वालिंटियर सीतापुर के एमएलसी आनंद भदौरिया के साथ हुआ।
आनंद यहां की धौरहरा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़े थे और 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के मैनेजर भी थे। सोमवार को उनकी एक बड़ी मीटिंग बेहजम में चल रही थी। बैठक में कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की सपा की मुहिम का ये जिले में चौथा दिन था। कार्यकर्ताओं की शान में कसीदे पढ़े जा रहे थे। चुनाव सिर पर है और इस बार भी नैया पार लगाने की जिम्मेदारी उनको सौंपी जा रही थी। जोशीले भाषणों के दौरान बार-बार तालियां बज रही थीं। एक के बाद एक सपाई नेता उस घमासान पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहे थे जो सपा में पिछले एक सप्ताह से चल रहा था।
बारी आनंद भदौरिया के भाषण की भी आती है तो वह अपने चिरपरिचित अंदाज में माइक संभालते हैं। भाजपा, बसपा और कांग्रेस को घेरते हुए भदौरिया दोबारा यूपी का सिंहासन हथियाने की हुंकार भरते हैं, पर इसी बीच सोशल मीडिया पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का फरमान वायरल होने लगता है। पंडाल में ही खुसुर-फुसुर शुरू हो जाती है। लेकिन वह किसी तरह अपना भाषण पूरा कर लेते हैं।
इसी बीच उनकी भी नजर अपने मोबाइल पर जाती है और फोन बजने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। एक के बाद दूसरा और फिर तीसरा फोन बजता ह और वह जवाब देने में मामूर हो जाते हैं। ये दूसरा मौका था जब भदौरिया को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया कयास लगाए जा रहे हैं ये कार्रवाई उसी कार्रवाई का शेष भाग दी है जो पिछली बार पूरी नहीं पाई थी।
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